500 रुपए से लेकर 55 लाख के पैकेज का सफर
कहते हैं संघर्ष जितना बड़ा होगा सफलता उससे भी बड़ी होगी। क्योंकि कभी-कभी किस्मत भी हमारे हौसले को आजमाने लगती है और देखती है कि कितना धैर्य और परिश्रम ये इंसान कर सकता है। लेकिन जो इंसान इस कठिन परीक्षा को पास कर लेता है वो सफलता के शिखर पर पहुंच जाता है। और जो मुश्किलों के सामने घुटने टेक देता है वो वहीं पर रह जाता है जहां से शुरुआत की थी।
कुछ ऐसी ही कहानी है एक शख्स की जिसने दसवीं में पहुंचते-पहुंचते काम करने पर मजबूर हो गया। महज 500 रुपए में एक कुरियर ब्वॉय की नौकरी कर किसी तरह से परिवार के खर्च को पूरा करने की कोशिश करने लगा। बता दें कि इस शख्स का नाम देवेन्द्र दवे है और उसके दोस्त उसे दवे के नाम से पुकारते हैं।
मुंबई के विरार में इनका बचपन बीता था। और इनके पिता पोलियो के रोग से ग्रसित थे। मां दूसरों के घर खाना बनाने का काम करती थी। पिता जी घर का बोझ कम करने के चक्कर में एक घोटाले में फंस गए और जिसकी भरपाई करने के लिए इन्हें घर तक बेचना पड़ गया। देवेन्द्र कुरियर की नौकरी करते हुए सड़कों पर जब चलते थे, तो उनके जहन में एक ख्याल हमेशा रहता था कि अभी भी वो पढ़ाई करके अपने परिवार का दर्द दूर कर सकते थे।
इसी के चलते उन्होंने नौकरी के साथ ही एक कॉलेज में दाखिला ले लिय़ा और नौकरी के साथ ही पढ़ाई पर बी ध्यान देने लगे। 12वीं की परीक्षा पास करने के साथ ही उसने मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ क्मयूनिकेशन अहमदाबाद का इंट्रेस भी पास कर लिया। लेकिन कोई भी बैक लोन देने को तैयार नहीं हो रहा था क्योंकि पिता एक वित्तीय घोटाले में फंसे हुए थे।
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देवेन्द्र ने अपने सपनों को हाथ से निकलते देखकर बहुत परेशान हुए लेकिन कुछ नहीं हो सका। और दोबार वो नौकरी पर वापस आ गए,और फिर से पैसे की बचत करने लगे। छोटी-छोटी नौकरी करने के बाद उन्होंने शतरंज सीखना शुरू कर दिया। एकदिन एक छात्र के पिता ने देवेन्द्र के सामने एक पेशकश रखी कि वो अगर एंट्रेंस एग्जाम पास कर लें तो वो उनकी मदद कर सकते हैं।
इतना सुनकर देवेन्द्र में एक नई ऊर्जा का संचार होने लगा और उन्होंने फिर से पढ़ाई में जी-जान से जुट गए। और परीक्षा पास कर ली। उसके बाद उनके खुद के द्वारा बचाए गए करीब 2.5 लाख रुपए लेकर अहमदाबाद चले गए। यही से देवेन्द्र की जिंदगी ने करवट बदल ली और उनकी जिंदगी में भी खुशियों की बहार आने लगी। आज देवेन्द्र एक स्टार्टअप के जरिए तैयारी करने वाले छात्रों की सहायता भी करते हैं।
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