तीसरी बार सीएम बने अशोक गहलोत, सचिन उप मुख्यमंत्री

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राजस्थान के 22वें मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत ने शपथ ले ली है। राज्यपाल कल्याण सिंह ने उन्हें शपथ दिलाई। इसी के साथ वह राज्य के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। उनके साथ सचिन पायलट ने भी शपथ ली। वह राजस्थान के डेप्युटी सीएम नियुक्त किए गए हैं। सचिन इस दौरान अपने पिता स्वर्गीय राजेश पायलट के अंदाज में सिर में लाल पगड़ी बांधे हुए दिखे। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी कार्यक्रम स्थल में मौजूद रहीं। समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नवजोत सिंह सिद्धू, जितिन प्रसाद समेत यूपीए के कई दिग्गज मौजूद रहे। जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल में शपथग्रहण का समारोह हुआ।

शपथग्रहण के दौरान अशोक गहलोत और सचिन पायलट के लिए कार्यकर्ताओं में जोश दिखा। दोनों नेता जब शपथ ले रहे थे तो समर्थकों में भारी उत्साह देखने को मिला। समर्थक उन्हें चियरअप कर रहे थे। वहीं विपक्षी एकता के प्रदर्शन के रूप में कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी, टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, शरद यादव, नैशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, जीतनराम मांझी और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन मंच पर मौजूद रहे। हालांकि, मध्य प्रदेश में कांग्रेस को समर्थन देने वालीं बीएसपी सुप्रीमो और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव यहां शामिल नहीं हुए।

अशोक गहलोत राजनीति के ‘जादूगर’

लंबे समय से राजनीति में सक्रिय अशोक गहलोत राजस्थान में काफी लोकप्रिय रहे हैं और उन्हें ‘राजनीति का जादूगर’ और ‘मारवाड़ का गांधी’ जैसे उपनामों से भी बुलाया जाता है। साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद भी अशोक गहलोत ने राज्य में अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखा। राजस्थान में ‘राजनीति का जादूगर’ माने जाने वाले गहलोत ने 2018 के राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत के जादुई आंकड़े के करीब लाने में अहम भूमिका निभाई है।

राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत चौथे नेता हैं। गहलोत से पहले भैरोसिंह शेखावत और हरिदेव जोशी ही तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि मोहन लाल सुखाड़िया सबसे अधिक 4 बार इस पद पर रहे। राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने जा रहे गहलोत 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।

इंदिरा की मदद से राजनीति में आए अशोक गहलोत

जानकारों का कहना है कि ‘मारवाड़ का गांधी’ माने जाने वाले गहलोत को राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लेकर आई थीं। ऐसा कहा जाता है कि वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में शरणार्थियों के बीच अच्छा काम कर रहे थे और इंदिरा उनके काम से काफी प्रभावित थीं। कुछ महीने पहले गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दमदार प्रदर्शन का श्रेय गहलोत को ही दिया जाता है।

पिछले कुछ समय से कांग्रेस के महासचिव (संगठन) का पदभार संभाल रहे गहलोत को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है। मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले गहलोत (67 वर्ष) 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीन मई 1951 को जन्मे गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में एनएसयूआई के अध्यक्ष के रूप में की थी। वह 1979 तक इस पद पर रहे। गहलोत 1979 से 1982 तक कांग्रेस पार्टी के जोधपुर जिला अध्यक्ष रहे और 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव बने। उसी दौरान 1980 में गहलोत सांसद बने।

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पांच बार लोकसभा सांसद और कई बार मंत्री भी रहे

गहलोत 1980 से 1999 तक पांच बार 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए। गहलोत 1999 से जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह 11वीं, 12वीं,13वीं और 14वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।

राजस्थान के युवा चेहरे सचिन पायलट

सचिन राजनीति में ज्यादा पुराने तो नहीं हैं लेकिन युवाओं में काफी पसंद किए जाते हैं। सचिन इस बार टोंक विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। इससे पहले वह दो बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि, 2014 की ‘मोदी लहर’ में सचिन लोकसभा चुनाव हार गए थे। सचिन पायलट ने पहली बार 14वीं लोकसभा में दौसा से जीत हासिल की थी। तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, उस वक्त सचिन की उम्र मात्र 26 वर्ष थी, इसके बाद वह 2009 में अजमेर से लोकसभा सांसद चुने गए और इस बार टोंक से विधायक चुने गए हैं।

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