मध्य प्रदेश में जिऊंगा और मध्य प्रदेश में ही मरूंगा : शिवराज

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एमपी (MP) में 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल वह केंद्र की राजनीति नहीं करेंगे। एमपी में बीजेपी के चुनाव हारने के बाद यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि शिवराज अब केंद्र में जा सकते हैं। यह भी कहा जा रहा था कि शिवराज 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री बनने से पहले शिवराज कई बार लोकसभा के सांसद भी रह चुके हैं।

शिवराज ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘मैं केंद्र में नहीं जाऊंगा। मैं मध्य प्रदेश में जिऊंगा और मध्य प्रदेश में ही मरूंगा।’ बताते चलें कि शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को इस्तीफा देने के बाद कहा था कि वह अब मुक्त हो गए हैं और अब वह चौकीदारी का काम करेंगे। इसी से भी स्पष्ट होता है कि शिवराज फिलहाल मध्य प्रदेश में ही केंद्रित रहना चाहते हैं। शिवराज ने प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष कमलनाथ को जीत की बधाई देते हुए कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि कांग्रेस अपने वादे पूरे करेगी।

मध्य प्रदेश में विधान परिषद का कोई औचित्य नहीं है

लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर शिवराज ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और प्रदेश में रहकर ही जनता की सेवा करेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में विधान परिषद का कोई औचित्य नहीं है।

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उल्लेखनीय है कि शिवराज ने हार की जिम्मेदारी अपने सिर पर ली है। उन्होंने कहा था कि हार के लिए सिर्फ वह ही जिम्मेदार हैं। लेकिन बुधवार को उनके सामने कुछ न बोलने वाले प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह ने गुरुवार को हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा अमित शाह को दे दिया। हालांकि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।

विदिशा से पहली बार लोकसभा सांसद बने

शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी ने 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव भारी बहुमत से जीता था। शिवराज पहली बार 1990 में बुधनी सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। इसके बाद उन्होंने केंद्र की राजनीति में कदम रखा था। 1991 में वह विदिशा से पहली बार लोकसभा सांसद बने। इसके बाद लगातार 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी वह विदिशा से चुने गए।

कुल मिलाकर वह पांच बार लोकसभा सांसद रहे। शिवराज 2005 में मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष बने थे। 29 नवंबर 2005 को पहली बार शिवराज को एमपी के सीएम की शपथ दिलाई गई थी। इसके बाद लगातार 13 साल तक वह राज्य के सीएम की कुर्सी पर बने रहे।

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