राजस्थान में भाजपा पर भारी पड़ी मॉब लिंचिंग
राजस्थान विधानसभा चुनाव परिणामों में बीजेपी को इस बार अलवर जिले में भारी नुकसान हुआ। यहां बीजेपी के खाते में 2 सीटें आईं, जबकि पिछले चुनाव में 9 सीटें मिली थीं। अलवर पिछले कुछ समय से कथित गोरक्षा के नाम पर हुई हिंसा के चलते सुर्खियों में रहा था।
बीजेपी को विधानसभा चुनाव में अलवर (शहरी) और मुंडावर सीट पर जीत मिली। जबकि तिजारा, किशनगढ़ बास, बहरोर, बंसुर, थंगाजी, अलवर (ग्रामीण), काठुमार और राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा, जहां 2013 के चुनाव में उसे जीत मिली थी।
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अलवर हरियाणा सीमा पर स्थित है, इस वजह से यहां डेयरी किसानों की संख्या अधिक है। एक किसान ने बताया कि कथित गोरक्षकों के हमले के डर से गायों का आवागमन बंद हो गया है जिससे जीविकोपार्जन प्रभावित हो रहा है। अलवर में पिछले साल मेवात निवासी पहलू खान और इस साल की शुरुआत में रकबर खान नाम के शख्स की मॉब लिंचिंग में हत्या कर दी गई थी।
बीजेपी ने किसानों की इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया
इसके अलावा खेतों में आवारा जानवरों के घूमने से भी किसान परेशान हैं। रामगढ़ के एक किसान राहुल मीणा ने कहा, ‘रात में किसान खेतों में टॉर्च की रोशनी से निगरानी करते हैं ताकि कोई आवारा पशु उनके खेतों में न घुसे। हालांकि बीजेपी ने किसानों की इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया।’ राजस्थान के परिणाम में जाति राजनीति ने भी भूमिका निभाई।
तिजारा में बीएसपी उम्मीदवार संदीप कुमार यादव ने यादव और बीएसपी के दलित वोट खींचकर बीजेपी वोट बैंक को बड़ा नुकसान पहुंचाया। इसी तरह किशनगढ़ बास में बीएसपी के दीप चंद, बीजेपी के रामहत सिंह यादव के खिलाफ गुज्जर और जाट वोटों को अपने खाते में खींचने में सफल रहे।
बीजेपी को तीसरे स्थान में भेज दिया
भरतपुर में बीजेपी को और ज्यादा नुकसान हुआ जहां बीजेपी ने 2013 में 6 में से 5 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार एक भी नहीं मिली। यहां एससी और एसटी वोट नदबई और नागर में बीएसपी उम्मीदवार के खाते में ट्रांसफर हो गए। नागर में बीएसपी कैंडिडेट वाजिब अली ने मुस्लिम, जाट और दलित वोटों को सुरक्षित कर बीजेपी को तीसरे स्थान में भेज दिया।
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