भारत ने बनाया एशिया का सबसे बड़ा ब्रिज

0
ड्रैगन पर लगाम लगाने के लिए सदिया ब्रिज का निर्माण भारत ने कर लिया है। इस ब्रिज की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके ऊपर से करीब 60 टन का लड़ाकू टैंक लेकर जाया जा सकता है।

सदिया ब्रिज चीन पर लगाम लगाने के लिए अहम कदम

चीन जहां लगातार भारत को सामरिक तौर पर घेरने की पूरी कोशिश कर रहा है और इसके लिए वह सीमा से लगता इलाकों में तेज़ी से सड़कें और अन्य चीजों का निर्माण कर रहा तो वहीं दूसरी तरफ भारत अपने पड़ोसी चीन की मंशा को भांपकर उसे जबाव देने की पूरी तैयारी में लगा हुआ है। इसके लिए भारत ना सिर्फ चीन से लगते सीमावर्ती इलाके में अपने सैन्य प्रतिष्ठानों को मजबूत कर रहा है बल्कि तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी किया जा रहा है।
ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर बना है 9.15 किलोमीटर लंबा ब्रिज
भारत की तरफ से ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर बनाए गए एशिया के सबसे लंबे पुल का, 9.15 किलोमीटर लंबा यह पुल ना सिर्फ असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच के सफर की दूरी को कम करेगा बल्कि समय की भी बचत होगी। इस पुल को आम लोगों के लिए मोदी सरकार की तीन साल पूरे होने पर खोल दिया जाएगा।
‘धोला-सदिया ब्रिज’ 60 टन का लड़ाकू टैंक निकल सकता है
‘धोला-सदिया ब्रिज’ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके ऊपर से करीब 60 टन का लड़ाकू टैंक लेकर जाया जा सकता है। यानि, इस पुल के जरिए सैन्य और आम लोगों की गाड़ियों की आसानी से आवाजाही हो सकेगी और अरुणाचल प्रदेश के अनिनी में बने सामरिक ठिकाने तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। अनिनी चीन की सीमा से सिर्फ 100 किलीमोटर ही दूर है।
सामरिक लिहाज से खास धोला-सादिया ब्रिज

 एशिया का सबसे लंबे पुल धोला-सादिया ब्रिज ना सिर्फ भारत के लिए सामरिक लिहाज से खास अहमियत रखता है बल्कि विकास और आर्थिक लिहाज से भी यह काफी फायदेमंद है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे पुल का उद्धाटन

प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से साढ़े नौ किलोमीटर लंबे इस पुल के मॉनसून से ठीक पहले किए जा रहे उद्घाटन को असम और अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए बड़ा उपहार माना जा रहा है क्योंकि इन दोनों राज्यों के लोगों को नदी पार करने के लिए काफी दूरी तय करनी पड़ती है या फिर नाव के जरिए जाने पर चार घंटे का समय लगता है। तो वहीं दूसरी तरफ सामरिक लिहाज से भी यह पुलिस खास अहमियत रखता है। ऐसे में यह पुल सुरक्षा बलों के लिए तेज़पुर होते हुए दिबांग और अन्जाव सीमा पर पहुंचना आसाना होगा  गुवाहाटी से करीब 186 किलोमीटर सजो अभी दो दिन  लग जाते हैं।

पुल से असम से विकास को मिलेगी गति 

असम का पूर्वोत्तर इलाका काफी पिछड़ा हुआ है। इस लिहाज से इसके उत्तरी और दक्षिणी इलाके के इस पुल से जुड़ने के बाद विकास की पहुंच असम के पूर्वोत्तर इलाके तक पहुंचेगी। फिलहाल, तिनसुकिया के आसपास ऐसा कोई भी मजबूत पुल नहीं है जिसके जरिए टैंकों को एक जगह से दूसरी जगहों पर लेकर जाया जा सके और सेना के जवान अरूणाचल प्रदेश पहुंच सके।

26 मई को उद्धाटन, 100 किमी की रफ्तार से दौड़ेंगी गाड़ियां

दो लाइन के इस पुल का डिजाइन इस प्रकार से किया गया है कि वह 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चल सके ताकि तेज आवाजाही हो पाए। समाचार एजेंसी पीटीआई ने असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल का हवाला देते हुए लिखा है कि पीएम इसका 26 मई को उद्घाटन करेंगे। सोनोवाल ने कहा, चीन की सीमा के पास इस पुल के बने होने के चलते युद्ध के दिनों में इसकी मदद से तेज़ी से सैन्य सामानों की आवाजाही हो सकेगी।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More