शिवपाल ने कराया ‘सियासी ताकत’ का एहसास
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आशियाना स्थित रमाबाई आंबेडकर मैदान में रविवार 9 दिसंबर को जनाक्रोश रैली 2018 का आयोजन किया गया। इस विशाल रैली में हजारों की भीड़ इकठ्ठा हुई थी। रैली में मुख्य अतिथि के तौर पर समाजवादी सेकुलर मोर्चा के संस्थापक और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव मौजूद रहे।
सैकड़ों पूर्व विधायकों ने ली सदस्यता
इस रैली में करीब 100 पूर्व विधायकों ने सदस्यता ग्रहण की। साथ ही कुछ बड़े नेताओं ने रैली स्थल पर ही पार्टी की सदस्यता ली। शिवपाल ने कहा कि प्रसपा (लोहिया) ने राजधानी में पहली रैली के जरिये इतिहास रच दिया। अपनी सियासी ताकत का एहसास करवाने के लिए लखनऊ के रमाबाई आंबेडकर मैदान में जनाक्रोश रैली कर रहे शिवपाल सिंह यादव के मंच पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व उनके बड़े भाई मुलायम सिंह यादव भी पहुंच गए।
मंच पर पहुंचे मुलायम सिंह
मुलायम के मंच पर पहुंचते ही शिवपाल समर्थक जोश से भर गए। इसके साथ ही मुलायम के रैली में जाने को लेकर कयासों पर भी रोक लग गई। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मंच पर मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, अपर्णा यादव, राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव, एमएलसी मधुकर जेटली, पूर्व मंत्री शादाब फातिमा, शारदा प्रताप व पूर्व विधायक राजेंद्र यादव मौजूद थे।
हजार सवाल-एक जवाब शिवपाल…नारे लिखे होर्डिंग्स से पटी राजधानी
यूपी के जेहन में सवाल हैं और उम्मीद शिवपाल हैं, फिर थाम संघर्ष की मशाल, आपके लिए निकल पड़े शिवपाल, हजार सवाल-एक जवाब शिवपाल। इस तरह के नारे लिखे होर्डिंग्स से राजधानी पट चुकी है। आज समाजवादी सेकुलर मोर्चा के अध्यक्ष व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव की जनाक्रोश रैली जो होनी है। अलग मोर्चा व अलग पार्टी बनाने के बाद राजधानी लखनऊ में शिवपाल के पहले सियासी शो में भारी भीड़ जुटने का अनुमान है। रैली के लिए रमाबाई अंबेडकर मैदान और आसपास का इलाका पार्टी के झंडों, बैनरों, होर्डिंग्स व पोस्टरों से सजाया गया था।
शिवपाल ने बनाई पार्टी
बता दें कि शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी में उपेक्षा से क्षुब्ध होकर पहले समाजवादी सेकुलर मोर्चा और फिर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई। सभी 75 जिलों में संगठनात्मक ढांचा खड़ा किया। फ्रंटल संगठनों को सक्रिय किया। महारैली मुद्दों व जन आक्रोश पर केंद्रित रही।
शिवपाल ने कहा कि यह किसी व्यक्ति विशेष की रैली नहीं है बल्कि जन साधारण के आक्रोश को स्वर दे रही है। प्रदेश-देश, किसानों, नौजवानों के सामने तमाम चुनौतियां खड़ी है। शिवपाल भले ही दावा करें कि उन्होंने मुलायम सिंह यादव से अनुमति लेकर नई पार्टी बनाई है लेकिन रविवार की महारैली में उनके आने पर संशय बना हुआ था।
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मुलायम सिंह पिछले दिनों शिवपाल व अखिलेश यादव के बीच संतुलन बनाए हुए थे। वह सपा दफ्तर भी जा रहे थे और प्रसपा के दफ्तर भी चले गए थे। 8 दिसंबर को फिरोजाबाद में अखिलेश यादव व रामगोपाल यादव के साथ कार्यक्रम में शामिल होकर उन्होंने सपा के साथ रहने का संकेत दे दिया है।
समर्थकों का उमड़ा जनसैलाब
कहा जाता है कि रमाबाई मैदान को बसपा के अलावा कोई और दल भर नहीं पाता है। रविवार को जुटने वाली भीड़ ने शिवपाल का राजनीतिक कद तय कर दिया। भीड़ जुटी तो उनके समर्थक उत्साहित होकर लौटे। सपा के प्रदेश प्रवक्ता दीपक मिश्रा का कहना है कि रैली ऐतिहासिक होगी। रविवार को यह भ्रम टूट गया कि रमाबाई अंबेडकर मैदान को कोई दल भर नहीं पाता है।
रैली में आम लोगों के साथ ही बड़ी तादाद में बुद्धिजीवी व शिक्षाविद् भी शामिल हुए। शिवपाल ने कहा कि बदलते संदर्भ में गांव, देश व समाज के हालात बदल गए हैं। तीन दशक पहले जो चुनौतियां थी, तब और अब की स्थिति बहुत बदल चुकी है। ऐसे में सामाजिक न्याय की लड़ाई को नए संदर्भ में देखना होगा।
विकास की रणनीति पर करेंगे काम
हम सामाजिक विकास में पिछड़ गए जातीय समूहों और वर्गो को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं। समाजवाद और सेकुलरिज्म हमारी पार्टी की सोच के अभिन्न हिस्से हैं। हम किसानों, नौजवानों, महिलाओं व छात्रों को केंद्र में रखकर समाज, राज्य व राष्ट्र के विकास की रणनीति पर काम करेंगे। सतत और रोजगारपरक विकास हमारा मुख्य एजेंडा है।
दरअसल, शिवपाल को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है। वह लंबे समय तक सपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। मंत्री, नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। दशकों से सहकारिता की राजनीति से जुड़े हैं। प्रदेश भर में उनका नेटवर्क है। वह बड़ी रैलियां कराते रहे हैं। यह पहला मौका है जब वह सपा से अलग होकर रैली कर रहे हैं।