विश्व में सबसे ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए लगेगा टिकट
31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती है और इस बार यह जयंती खास होगी। दरअसल इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
यह विश्व की सबसे ऊंची गगनचुंबी प्रतिमा है। आज पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भी कहा कि सरदार पटेल जो जमीन से जुड़े थे, अब आसमान की भी शोभा बढ़ाएंगे।
भारतीय और चीनी मजदूरों ने मिलकर काम किया
यह दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है, जिसके सामने 120 मीटर ऊंची चीन वाली स्प्रिंग बुद्ध मूर्ति और 90 मीटर ऊंची न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी भी बहुत छोटी लगती है। इसकी ऊंचाई है 182 मीटर। इसके लिए भारतीय और चीनी मजदूरों ने मिलकर काम किया।
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माना जा रहा है कि इस प्रतिमा को देखने के लिए देश और दुनिया से लोग आएंगे और इस वजह से आसपास के परिसार को टूरिस्ट स्पॉट बनाने का भी इंतजाम किया है। इसके लिए मूर्ति के 3 किलोमीटर की दूरी पर एक टेंट सिटी भी बनाई गई है, जहां आप रात भर रुक भी सकते हैं।
आप गैलरी और बाहरी नजारे का आनंद ले सकेंगे
5700 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मीट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स से बनी इस मूर्ति में लेजर लाइटिंग लगेगी, जो इसकी रौनक हमेशा बनाए रखेगी। इसके नीचे एक म्यूजियम भी है। मूर्ति में दो लिफ्ट लगी है, जो कि सीने तक जाएगी, जहां से आप गैलरी और बाहरी नजारे का आनंद ले सकेंगे।
300 रुपये फीस का भुगतान भी करना होगा
वहां से सरदार सरोवर बांध तक का दृश्य दिखेगा। यहां लिफ्ट के स्थान पर आपको सरदार सरोवर बांध का नजारा दिखेगा और वादियां देखने को मिलेंगी। इस मूर्ति तक आपको नांव के जरिए पहुंचना होगा और इसका दीदार करने लिए लिए 300 रुपये फीस का भुगतान भी करना होगा।
मूर्ति के निर्माण के लिए केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 मेंलार्सन एंड टूब्रो कंपनी को ठेका दिया गया था। माना जा रहा है कि इसके निर्माण में करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस मूर्ति में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी। स्टैच्यू में 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है। साभार आजतक
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