‘खून के सौदागर’ गिरफ्तार

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यूपी की राजधानी लखनऊ में नकली खून के कारोबार ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है। शहर में पिछले छह महीने से सेलाइन वॉटर (खारा पानी) से तैयार होने वाले खून का काला कारोबार चल रहा था। इस मामले में एसटीएफ ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला कि आरोपी अबतक एक हजार से ज्यादा मरीजों को यह खून बेच चुके हैं।

हैरानी की बात यह है कि कमाई के चक्कर में मरीजों की जिंदगी से होने वाले खेल में शहर के कई बड़े ब्लड बैंक और पथॉलजी के कर्मचारी जुड़े हैं। महत्वपूर्ण सुराग मिलने के बाद एसटीएफ ने एफएसडीए के साथ ब्लड बैंकों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। बीएनके, मेडिसिन ब्लड बैंक और सरकार डायग्नोस्टिक सेंटर के लेजर सीज कर छानबीन की जा रही है।

STF की गिरफ्त में मास्टरमाइंड

एसएसपी एसटीएफ अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि करीब दो महीने पहले शहर में हो रहे खून के काले कारोबार की जानकारी मिली थी। इसके बाद खून बेचने वाले कई नशेड़ियों को पकड़कर पूछताछ की। पता चला कि त्रिवेणीनगर के एक मकान में खून का कारोबार चल रहा है। गुरुवार रात टीम ने मास्टरमाइंड मोहम्मद नसीम के घर पर छापा मारा। मौके से सेलाइन वॉटर से तैयार खून, ब्लड बैग, रैपर व अन्य सामान बरामद हुआ। मौके से नसीम के साथ ही बाराबंकी निवासी राघवेंद्र प्रताप सिंह, सआदगंज निवासी राशिद अली, बहराइच निवासी पंकज कुमार त्रिपाठी और निशातगंज निवासी हनी निगम को गिरफ्तार किया।

ब्लड बैंक का टेक्निशन था मददगार

पूछताछ में कई सनसनीखेज जानकारियां मिलीं। पकड़ा गया राघवेंद्र प्रताप निराला नगर स्थित बीएनके ब्लड बैंक का लैब टेक्निशन और पंकज त्रिपाठी लैब असिस्टेंट निकला। दोनों मास्टरमाइंड नसीम के घर जाकर डोनर का ब्लड निकालते थे। राशिद अली रुपयों का लालच देकर रिक्शा चालकों और नशा करने वालों को खून बेचने के लिए लाता था। हनी निगम का काम मिलावटी खून के लिए सर्टिफाइड रैपर, बैग व अन्य कागजों का इंतजाम करना था।

नामी अस्पतालों में सप्लाइ तो नहीं?

एसएसपी कलानिधि नैथानी के अनुसार, आरोपी एक यूनिट ब्लड में सेलाइन वॉटर मिलाकर दो यूनिट बनाते थे। इस खून को पैक्ड रेड ब्लड सेल (पीआरबीसी) कहकर बेचा जाता था। इसके लिए सर्टिफाइड ब्लड बैंक के रैपर और बैग इस्तेमाल किया जाता था।

इसमें शेखर अस्पताल, ओपी चौधरी क्लिनिक, मेडिसिन ब्लड बैंक, बीएनके ब्लड बैंक, सरकार ब्लड बैंक के रैपर और ब्लड बैग का इस्तेमाल हो रहा था। पूछताछ में पता चला है कि एक यूनिट ब्लड के लिए डोनर को 500 से 1,000 रुपये तक देते थे। इसके बाद मिलावटी खून को 2,000 से 4,000 रुपये तक में बेचते थे। शहर के साथ ही आसपास के अस्पतालों के पास गैंग से जुड़े लोग घूमकर जरूरतमंदों को फंसाते थे।साभार

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