सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर नहीं थमा बवाल
सबरीमाला पर जारी बवाल जारी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर (temple) में सभी वर्ग की महिलाओं को जाने की इजाजत के बाद भी प्रदर्शनकारी शुक्रवार को भी ‘प्रतिबंधित’ आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में नहीं घुसने दे रहे हैं। इस बीच, दो महिलाओं के एंट्री पॉइंट पर पहुंचने के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। प्रदर्शनकारियों ने उनसे लौटने की अपील की।
वहीं, राज्य प्रशासन प्रदर्शनकारियों से शांति की अपील कर रहा है। एंट्री पर पहुंचने वाली महिलाओं में हैदराबाद मोजो टीवी की जर्नलिस्ट कविता जक्कल और ऐक्टिविस्ट रिहाना फातिमा हैं। सबरीमाला के पुजारी ने जहां महिलाओं से मंदिर नहीं आने की अपील की है, वहीं प्रदर्शकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ महिलाओं की एंट्री रोकने में लगे हैं।
250 पुलिस जवान दोनों महिलाओं को अपनी सुरक्षा में
प्रशासन ने गुरुवार से ही इलावुंगल और सन्नीदानम में कर्फ्यू लगा दिया जो शुक्रवार तक लागू रहेगा। पठानमथिट्टा जिला कलेक्टर पीबी नूह ने कहा कि प्रशासन द्वारा सबरीमाला आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। बता दें कि करीब 250 पुलिस जवान दोनों महिलाओं को अपनी सुरक्षा में लेकर मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं।
पत्थर फेंके और उनसे छेड़छाड़ करने की कोशिश की
गुरुवार सुबह एक समाचार पत्र की रिपोर्टर सुहासिनी राज, अपने एक पुरुष सहयोगी के साथ पंबा से दो घंटे की पैदल यात्रा तय कर सबरीमाला जा रही थीं। पुलिस उनकी सुरक्षा में थी, इसके बावजूद उन्हें लौटना पड़ा। उन्होंने बताया कि आधे घंटे बाद उन्हें मारकूटम में वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने रास्ता रोक दिया था। रिपोर्टर के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, पत्थर फेंके और उनसे छेड़छाड़ करने की कोशिश की।
पुलिस ने सुहासिनी राज को वापस पंबा लेकर गई
बुधवार को भी आंध्र प्रदेश की एक महिला श्रद्धालु को भी नाराज प्रदर्शनकारियों के डर से लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा था। पुलिस ने सुहासिनी राज को वापस पंबा लेकर गई, जहां एडीजीपी अनिल राज और आईजी मनोज अब्राहम से मुलाकात करने के बाद उनकी शिकायत के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
दो दिन के लिए धारा 144 लागू
पठानमथिट्टा जिला प्रशासन ने दो दिन तक धारा 144 के तहत निषिद्ध आदेश लगाए हैं, लेकिन दो और तीन के समूह में जा रहे प्रदर्शनकारियों ने पारंपरिक काले रंग के कपड़ों में इरुमुद्दीत्तु (देवता अयप्पा) को अपने सिर पर बिठा रखा है। हालांकि पुलिस बल को बढ़ा दिया गया है, लेकिन वे प्रदर्शनकारियों और वास्तविक श्रद्धालुओं के बीच अंतर करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं।
93वें विजयदशमी उत्सव में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सबरीमाला में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत पर राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि सबरीमाला देवस्थान के संबंध में सैकड़ों वर्षों की परम्परा के स्वरूप व कारणों के मूल का विचार नहीं किया गया। वहीं, आरएसएस प्रमुख के बयान पर पलटवार करते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा है कि संघ परिवार मंदिर के प्रति हमेशा असहिष्णु रहा है।
सीएम विजयन ने कहा, ‘सबरीमाला में एक विशिष्टता है, जो बाकी मंदिर खो चुके हैं। यह सभी धर्मों और जाति के लोगों को प्रवेश की इजाजत देता है।’ विजयन ने यह भी कहा कि आरएसएस हमलावरों को समर्थन दे रही है जिससे लोगों में दहशत फैल रही है। साभार
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