अखिलेश के ‘समाजवादी सरकार’ में आलू से महंगा ‘भूसा’

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लखनऊ। किसानों की पार्टी होने का ढोल पीटने वाली अखिलेश सरकार के राज में 50 से अधिक जिले सूखे की चपेट में हैं। वहीं सूखे की मार झेल रहे इन जिलों में अब पशुपालकों के सामने पशुओं के चारे का संकट पैदा हो गया है। आलम यह है कि राज्य में आलू से महंगा ‘भूसा’ बिक रहा है।

पशुपालन विभाग के सूत्रों की मुताबिक हरे चारे की किल्लत व भूसे की बढ़ती कीमतों ने पशुपालकों की कमर तोड़ दी है। आलम यह है कि राज्य में आलू जहां 800 से 900 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, वहीं भूसा 1000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक के दाम पर बेचा जा रहा है।

पशुधन एवं पशुपालन विभाग के अनुसार, हालांकि गर्मियों में हरे चारे की व्यवस्था के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक सूखे की वजह से हरे चारे बरसीम, रिजका, जई व चूरी की कमी की वजह से भूसे की मांग में बढ़ोत्तरी हुई है।

गौर हो कि पिछले रवि के सीजन में ओला व अतिवृष्टि की वजह से गेंहू की फसल को काफी नुकसान हुआ था। इससे भी भूसे का संकट पैदा हो गया।

भूसे का इस्तेमाल पेपर उद्योग में होने से भी उसकी कीमतें बढ़ती हैं। पशुचारे का संकट देशव्यापी है, क्योंकि लगभग 20 करोड़ पशुओं के सापेक्ष आधा चारा ही उपलब्ध है।

विभाग के मुताबिक, केंद्र सरकार की समिति ने हाल ही में एक रिपोर्ट दी है जिसमें बताया गया है कि देश में हरे चारे और भूसे का संकट है। देश में शुष्क चारे का 40 प्रतिशत, हरे चारे का 36 फीसदी और पूरक आहार की 57 फीसदी कमी है।

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