11वीं में पढ़ने वाले इस छात्र ने दिव्यागों के जीने की राह को किया आसान
दुनिया में रोज कोई न कोई खोज होती रहती है। आए दिन अविष्कार हो रहे हैं। नई नई चीजें इजाद हो रही है। इन्ही सब के बीच अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले एक 11वीं में पढ़ने वाले छात्र ने कुछ ऐसा कारनामा कर दिखाया है दिससे देश दुनिया की नजरें उसपर टिक गई हैं।
बता दें कि अनंग तादर ने आंखों से दिव्यांग लोगों के लिए एक ऐसी मशीन तैयार की है जिससे कि उन्हें घर या बाहर कहीं भी चलने में कोई दिक्कत न हो। इस मशीन को नाम दिया गया है ‘गॉगल फोर ब्लाइंड'(G4B) और लोग इस इन्वेंशन को देख कर आश्चर्यचकित हैं।
G4B’ की खास बात ये है कि ये चमगादढ़ों की तरह आस-पास के ऑब्जेक्ट से इको के आधार पर काम करेगा, जिससे उससे थोड़ी दूरी से ही ये पता चल जाए कि सामने कोई ऑब्जेक्ट है या कोई बाधा है। इस टेक्नोलॉजी का नाम है ‘इकोलोकेशन’। इस टेक्नोलॉजी में होता ये है कि साउंड वेव के इस्तेमाल से ये पता लगाया जाता है कि क्या जो सामान हैं वो सब स्पेस में हैं या आगे जाने की जगह है या नहीं।
अनंग के इन्वेंशन को गुवाहाटी के रीजनल साइंस सेंटर में आयोजित हुए रीजनल लेवल साइंस फेस्टिवल में मोस्ट इनोवेटिव केटेगरी में रखा गया और दीनानाथ पाण्डेय स्मार्ट आइडिया इनोवेशन अवॉर्ड से नवाजा गया। इसके बाद 6 मार्च को अनंग ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित नेशनल लेवल साइंस एग्जीबीशन में हिस्सा लिया जहां हनी बी नेटवर्क, नेशनल इग्निशन फैसिलिटी, सोसाइटी फोर रिसर्च एंड इनिशिएटिव फोर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज एंड इन्स्टिट्यूशन्स, ग्लोबल यूथ एक्शन नेटवर्क और यूनिसेफ(UNICEF) इस इन्वेंशन से काफी प्रभावित हुए थे।
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NIF और UNICEF ‘G4B’ को मार्केट में भी लॉन्च करना चाहते हैं, इसीलिए अनंग को इस इन्वेंशन के कुछ और सैंपल भेई तैयार करने को कहा गया है जिसे आंखों से दिव्यांग लोगों पर टेस्ट किया जा सके। साथ ही ये भी प्लान किया गया है कि अगर टेस्टिंग में ये प्रोडक्ट सक्सेसफुल होता है तो इसे दूसरे अन्य डेवलपर्स के साथ मिलकर और भी हल्का करने की भी कोशिश की जाएगी। अनंग को टेक्नोलॉजी और रोबोट्स बनाने में नए रिसर्च करने का बहुत ही शौक रहा है, इससे पहले भी कई बार अनंग अलग-अलग जगहों पर अवार्ड जीत चुके हैं।
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