पड़ोसी देशों को PM मोदी की सौगात
दक्षिण एशिया उपग्रह या जीसैट-9 को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी-एमके द्वितीय) रॉकेट के जरियेआज शाम प्रक्षेपित किया जाएगा। इस उपग्रह को रॉकेट से शाम 4.57 बजे आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के द्वितीय लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया है।
गुरुवार दोपहर 12.57 बजे ही शुरू हो गई थी उल्टी गिनती शुरू
रॉकेट लांच को लेकर 28 घंटे की उल्टी गिनती गुरुवार दोपहर 12.57 बजे ही शुरू हो गई थी। करीब 49 मीटर लंबा और 450 टन वजनी जीएसएलवी तीन चरणों वाला रॉकेट है।
पहले चरण में ठोस ईंधन, दूसरे में तरल ईंधन और तीसरे में क्रायोजेनिक इंजन
इसमें पहला चरण ठोस ईंधन, दूसरा चरण तरल ईंधन और तीसरा क्रायोजेनिक इंजन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने बताया कि दूसरे चरण के लिए तरल ईंधन को भर दिया गया है और क्रायोजेनिक इंजन में भी ईंधन भरा गया है।
जीसैट-9 संचार अनुप्रयोगों को उपलब्ध कराने के लिए लॉन्च किया गया
इसरो ने कहा था कि जीसैट-9 को दक्षिण एशियाई देशों के कवरेज क्षेत्र के साथ कू-बैंड में विभिन्न संचार अनुप्रयोगों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया है।
जीसैट-9 की मिशन अवधि 12 साल से ज्यादा
इसरो ने कहा है कि जीसैट-9 मानक प्रथम-2के बस के तहत बनाया गया है। उपग्रह की मुख्य संरचना घनाकार है, जो एक केंद्रीय सिलेंडर के चारों तरफ निर्मित है। इसकी मिशन अवधि 12 साल से ज्यादा है।
इसरो ने प्रायोगिक आधार पर उपग्रह को इलेक्ट्रिक पॉवर दिया
एक अधिकारी के अनुसार, इसरो ने प्रायोगिक आधार पर उपग्रह को इलेक्ट्रिक पॉवर देने का फैसला किया है। अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “हमने इलेक्ट्रिक पॉवर की वजह से पारंपरिक ऑनबोर्ड ईंधन की मात्रा कम नहीं की है। हमने इसमें इलेक्ट्रिक पॉवर की सुविधा जोड़ी है, ताकि भविष्य के उपग्रहों में इसके इस्तेमाल की जांच कर सकें।”
जीसैट-9 क्षेत्र की आर्थिक और विकास की प्राथमिकताओं के लिए अहम-PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अप्रैल को कहा था कि दक्षिण एशिया उपग्रह क्षेत्र की आर्थिक और विकास की प्राथमिकताओं के लिए अहम भूमिका निभाएगा। पीएम ने ‘मन की बात’ में उन्होंने कहा था, “इस उपग्रह की क्षमता और सुविधाएं दक्षिण एशिया के आर्थिक और विकासात्मक प्राथमिकताओं से निपटने में काफी मददगार साबित होंगी।”