CAG का दावा: मोदी सरकार ने लगायी 1179 करोड़ की चपत

0

आगामी लोकसभा चुनाव-2019 में जीत की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है। दरअसल, नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने एक ऐसा खुलासा किया है, जिससे केन्द्र सरकार की नींद उड़ गई है। जी हां, कैग के ओर से पेश की गयी रिपोर्ट ने मोदी सरकार के मंत्रालयों पर कई सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

इतना ही नहीं, रिपोर्ट ने सरकार की ओर से किये गए सभी ईमानदारी के दावों की पोल खोल दी है।

करोड़ों के राजस्व की सरकार को चपत

बता दें कि देश के 19 मंत्रालयों और उनके अधीन संचालित संस्थानों में कई जगहों पर नियम-कायदों की अनदेखी से करोड़ों के राजस्व की सरकार को चपत लगी है।

Also Read : राहुल गांधी पर अभद्र टिप्पणी करने पर मायावती ने जय प्रकाश को पद से हटाया

कैग की 2018 की रिपोर्ट नंबर चार के मुताबिक, इन 19 मंत्रालयों में 1179 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं हुईं हैं। 4 अप्रैल, 2018 को संसद में पेश हुई इस रिपोर्ट के मुताबिक, अनियमितताएं मार्च 2017 तक के वित्तीय दस्तावेजों की छानबीन के बाद पकड़ में आईं। कैग के मुताबिक सालभर में मंत्रालयों के खर्च में 38 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है।

इन मंत्रालयों में हुईं गड़बड़ियां…

– मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय

– विदेश मंत्रालय

– सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय

– स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

-संस्कृति मंत्रालय

– उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय

– वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय

– कृषि मंत्रालय

– गृह मंत्रालय

देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी ने जनरल, सोशल और रेवेन्यू सेक्टर से जुड़े 46 मंत्रालयों व विभागों की ऑडिट की तो इसमें से कुल 19 मंत्रालयों में गड़बड़ियों के 78 मामले पकड़े गए। यह भी पता लगा कि साल भर के भीतर सकल खर्च 38 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गया। 2015-16 में जहां इन मंत्रालयों का कुल खर्च 53,34.037 करोड़ रुपये था, वहीं 2016 में बढ़कर 73,62,394 हो गया।

इन विभागों का भी नाम है शामिल…

– नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशियन (आईसीएमआर), हैदराबाद (अनुपयोगी उपकरण खरीद)

– दिल्ली पुलिस (अनुपयोगी सर्वर और सॉफ्टवेयर की खरीद)

– आईआईटी मुंबई (सर्विस टैक्स का अनियमित भुगतान)

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More