कभी इस काम का लोगों ने उड़ाया मजाक, आज उसी से कमा रहा है करोड़ों
हमारे देश में कुछ लोग इसलिए बेरोजगार घूम रहे हैं क्योंकि उनके मन मुताबिक काम नहीं मिलता है। या फिर वो ऐसा काम करने को तैयार हैं जिससे उनको बेइज्जती महसूस न हो। हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या हैा कि लोग स्टेटस के हिसाब से काम करना चाते हैं। अगर वो थोड़ा भी पड़े लिखे हैं तो मजदूरी करना पाप समझते हैं। सिर्फ उन्हें कलम चलाने वाली नौकरी ही चाहिए। जिसकी वजह से आज हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
लेकिन जो लोग इन सब चीजों से आगे निकलकर सोचते हैं वो लोग अक्सर कुछ न कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसका लोहा पूरा देश मानने पर मजबूर हो जाता है। जिस दिन आप ये समझ गए कि काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता उस दिन आप जो भी काम करेंगे उसमें सफलता जरूर हासिल होगी।
कुछ ऐसी ही कहानी है हमारे देश के एक युवा की जिसने काम को छोटा या बड़ा नहीं समझा और निकल पड़ा अपनी मंजिल पाने के लिए। और एक दिन उसने वो मंजिल भी पा ली जिसकी खोज में निकला था। हम बात कर रहे हैं संदीप गजकश की। संदीप शुरू से ही सफाई पर विशेष ध्यान देते थे। एक तरह से सफाई को लेकर वो पागल रहते थे।
घर हो या उनके अपने जूते, कुछ भी गंदा नहीं रहना चाहिए। हालांकि शादी के बाद संदीप के इस फितूर में जरा सी कमी जरूर आई है, पर सफाई रखने का उनका जुनून अब भी कम नहीं हुआ है। उनके सफाई पसंद आदत की वजह से ही आज वो करोड़पति हैं। संदीप ने एक ऐसा बिजनेस शुरू किया, जिसे लोग निम्न स्तर का मानते थे।
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संदीप ने जूते की लॉन्ड्रिंग शुरू कर यह साबित कर दिया कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। संदीप गजकस नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फायरिंग इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग कर चुके थे। वह जॉब के लिए गल्फ जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन तभी 2001 में अमेरिका पर 9/11 का अटैक हुआ और उन्होंने विदेश जाने का प्लान ड्रॉप कर दिया।
विदेश में नौकरी का प्लान ड्रॉप करने के बाद संदीप ने शू पॉलिश का बिजनैस शुरू करने की ठानी। करीब 12,000 रुपये खर्च कर उन्होंने बिजनेस शुरू करने की तैयारी शुरू किया। मां-बाप और दोस्तों को अपना यूनिक आइडिया समझाने के बाद कुछ महीनों तक संदीप ने खुद जूता पॉलिश किया। अपने बाथरूम को वर्कशॉप बनाकर उन्होंने शू पॉलिशिंग को लेकर रिसर्च करना शुरू किया।
इसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के जूते पॉलिश करने का काम किया। संदीप ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह जूता पॉलिश के बिजनेस को सिर्फ पॉलिश से निकालकर रिपेयरिंग तक ले जाना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने काफी लंबे समय तक रिसर्च किया।
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इस दौरान उन्होंने लाखों रुपये खर्च किए और फेल होते रहे। संदीप ने बताया कि मैं पुराने जूतों को एकदम नया बनाने और उन्हें रिपेयर करने के इनोवेटिव तरीके ढूंढ़ रहा था। मैंने रिसर्च पर सबसे ज्यादा समय बिताया और उस रिसर्च के बदौलत ही मैंने फाइनली 2003 में अपना और देश की पहली ‘द शू लॉन्ड्री’ कंपनी शुरू की। मैंने सफल होने के लिए पहले फेल होना सीखा और उन तरीकों को ढूंढ़ा, जो मुझे नहीं करने चाहिए। मुंबई के अंधेरी इलाके में शुरू हुई गजकस की ये कंपनी आज देश के कई शहरों में पहुंच चुकी है।