डी-मार्ट कंपनी की सफलता, जानें किस शख्स ने लिखी कामयाबी की कहानी

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देश में अपनी मेहनत के दम पर उद्योग जगत में लोहा मनवाने वाले राधाकृष्ण दमानी की गिनती आज देश के 20 अमीर लोगों में की जाती है। मालूम हो कि दमानी कि लाइफ आसान नहीं थी। उनका पूरा जीवन मेहनत और संघर्षों से भरा हुआ है। लोग किसी की सफलता को देखकर तुरंत ये बोल बैठते हैं कि अरे ये तो वही है जो कल तक ऐसे ही घूम रहा था। और आज इतना सफल और अमीर कैसे हो गया।

लेकिन शायद इस अमीर और गरीब के बीच जो रात गुजरी है वो कितनी लंबी होती है शायद इसका अंदाजा उन लोगों को नहीं होता जो सिर्फ इंसान की कामयाबी देखते हैं। लेकिन उस सफलता के लिए दिए गए त्याग और बलिदान को वो नहीं जानते हैं। कुछ ऐसा ही देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति राधाकृष्ण दमानी के साथ भी है। और उनकी भी कहानी संघर्षों से भरी है।

‘राधाकृष्ण दमानी’, आज की तारीख में देश के 20 अमीर लोगों में से एक हैं। 2 दिन पहले तक आपने इनका नाम भी नहीं सुना होगा। आदमी ही ऐसे हैं न ज्यादा लाइम लाइट पसंद है और न ही ज्यादा चमकदमक, बस काम करते जाने पर भरोसा है। राधाकृष्ण दमानी डी-मार्ट कंपनी के मालिक हैं, जिसने रिटेल बिजनेस में रिलायंस और बिरला जैसी बड़ी कंपनियों को भी पीछे छोड़ दिया।

शुरुआत में दमानी पिता के बियरिंग बिजनेस के साथ जुड़े थे लेकिन पिता के देहांत के बाद बिजनेस बंद हो गया। इस वक्त पर राजेंद्र दमानी को उनके भाई का साथ मिला और दमानी भाई के साथ स्टॉक ब्रोकिंग के बिजनेस में लग गए। स्टॉक मार्केट का काम सीखा और इस काम में मास्टर हो गए। लेकिन जेहन में व्यापार नाम का खून दौड़ रहा था और फिर शुरू हुआ डी-मार्ट जिसने बिजनेस इतिहास के एक कोने को अपने नाम कर लिया।

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आज की तारीख में डी-मार्ट कंपनी के देशभर में कुल 119 स्टोर ही हैं। लेकिन इसके बावजूद कंपनी ने रिलायंस और आदित्य बिरला ग्रुप जैसी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। जिसके पीछे की सबसे बड़ी वजह बताई जाती है कि इसके स्टोर्स पर मार्केट से सबसे कम कीमत पर सामान मिल जाता है। डीमार्ट स्टोर की सफलता के पीछे भी एक कारण माना जा रहा है कि डी-मार्ट ने अपने स्टोर के लिए कभी कोई जगह किराए पर नहीं ली।

जब जहां स्टोर खोला इसके लिए अपनी जगह खरीद ली। इससे हुआ ये कि इनके प्रॉफिट का एक बड़ा हिस्सा जो कि किराए पर जाता वो बचा लिया जाता था। इससे कंपनी को ये फायदा मिल जाता था कि अपने प्रॉफिट को और कम करके अपने स्टोर पर सामान कम दाम में बेच सकता था।

एक और बात जो ध्यान देने वाली है वो ये कि कंपनी ने आनन-फानन में आकर पूरे देशभर में अपने स्टोर फैलाने से बेहतर पहले जिन एरिया में सर्विस मौजूद है उन्हीं को सुधारने पर ध्यान लगाया और रिजल्ट हमारे सामने है। रिलायंस और आदित्य बिरला ग्रुप की कंपनियां जिनके कि 1000 से भी ज्यादा स्टोर हैं, उन्हें 119 स्टोर वाली कंपनी ने पछाड़ दिया।

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