आपराधिक जांच में नहीं हो सकता आधार की बॉयोमेट्रिक जानकारी का इस्तेमालः UIDAI

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यूआईडीएआई ने कहा है कि आधार अधिनियम के तहत आधार की बायोमेट्रिक जानकारी (डेटा) का इस्तेमाल आपराधिक जांच में नहीं किया जा सकता है। UIDAI का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने अपराध पकड़ने के लिए पुलिस को आधार की सूचनाओं की सीमित उपलब्धता की बातें की थी।

धारा 33 के तहत बेहद सीमित छूट दी गई है

प्राधिकरण ने जारी बयान में यह भी कहा कि आधार की सूचनाएं कभी भी किसी आपराधिक जांच एजेंसी के साथ साझा नहीं की गई हैं। प्राधिकरण ने कहा, ‘आधार अधिनियम 2016 की धारा 29 के तहत आधार जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल आपराधिक जांच के लिए स्वीकृत नहीं है।’ प्राधिकरण ने कहा कि अधिनियम की धारा 33 के तहत बेहद सीमित छूट दी गई है।

इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला होने पर आधार की जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन यह भी सिर्फ तभी संभव है जब मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इसके लिए पूर्व-प्राधिकरण दे चुकी हो।

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UIDAI ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय में आधार मामले की चल रही सुनवाई में भी भारत सरकार का यह लगातार पक्ष रहा है।’ प्राधिकरण ने आगे कहा कि उसके द्वारा जमा की गई जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल महज आधार बनाने और आधारधारक के सत्यापन के लिए की जा सकती है। इसके अलवा किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

हर साल करीब 50 लाख आपराधिक केस दर्ज होते हैं

UIDAI ने कहा कि यहां इसे रेखांकित किया जा सकता है कि जब मुंबई हाई कोर्ट ने किसी विशेष मामले में जांच एजेंसी के साथ बायोमेट्रिक डेटा साझा करने का आदेश दिया था, तो मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया था, जिसने इस आदेश पर रोक लगा दी थी। गुरुवार को एनसीआरबी के डायरेक्टर ने कहा था कि देश में हर साल करीब 50 लाख आपराधिक केस दर्ज होते हैं।

उनके मुताबिक इनमें से अधिकतर पहली बार अपराध करने वालों के होते हैं, जो अपराधस्थल पर फिंगरप्रिंट तो छोड़ जाते हैं लेकिन पुलिस के पास उनका कोई रिकॉर्ड नहीं होता। उन्होंने कहा था कि अगर पुलिस को आधार डेटा का सीमित एक्सेस मिले तो अपराधियों को पकड़ा जा सकेगा।

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