भीम आर्मी के सचिन की मौत केस में हुआ ये बड़ा खुलासा
महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष के भाई की गोली मार के हत्या कर दी गई थी। भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया की मौत के मामले में खुलासा करते हुए पुलिस ने दावा किया कि यह हत्या नहीं बल्कि दुर्घटनावश गोली चलने का मामला है। यह गोली सचिन वालिया के एक साथी द्वारा चली थी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। उसकी निशानदेही पर तमंचा भी बरामद कर लिया गया है।
पुलिस टीम को 25 हजार रुपये का इनाम मिला है
डीआईजी शरद सचान ने बताया कि सचिन वालिया की हत्या नहीं की गई बल्कि एक साथी द्वारा तमंचा देखने के दौरान गोली चलने से उसकी मौत हुई। पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया है। उसकी निशानदेही पर तमंचा भी एक अन्य घर से बरामद कर लिया गया है। इसका खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपये का इनाम मिला है। डीआईजी ने बताया कि 9 मई को महाराण प्रताप जयंती के अवसर पर सचिन की संदिग्ध परिस्थिति में गोली लगने से मौत हो गई थी।
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पुलिस टीम ने प्रवीण उर्फ माण्डा पुत्र पूरन सिंह निवासी रामनगर थाना देहात कोतवाली को गिरफ्तार कर लिया है। प्रवीण ने बताया कि घटना के दिन सचिन ने उसे फोन करके निहाल के घर बुलाया था। आरोपी ने बताया कि निहाल के घर पर एक तमंचा रखा हुआ था। उसे देखने के दौरान ही ट्रिगर दबने से गोली चल गई, जो सचिन वालिया को जा लगी। वे सचिन को जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे थे, लेकिन रास्ते मे ही उसने दम तोड़ दिया था। इस घटना के बाद आरोप लगा था कि एक जाति विशेष के लोगों ने सचिन की हत्या की है।
मौत के बाद रची हत्या की साजिश का पर्दाफाश
इससे पहले मेरठ पुलिस ने भीम आर्मी के समर्थक छह युवकों को गिरफ्तार कर जातीय हिंसा फैलाने और सचिन वालिया की हत्या का बदला लेने की साजिश का पर्दाफाश करने का दावा किया था। केन्द्रीय खुफिया एजेंसी ने इस संबंध में मेरठ पुलिस को सूचना दी थी। सचिन वालिया भीम आर्मी के सहारनपुर जिला अध्यक्ष कमल वालिया का भाई था। मेरठ जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि गिरफ्तार युवकों की पहचान मेरठ निवासियों राहुल, दीपक, सतवीर, रविन्दर कुमार भरत और गाजियाबाद निवासियों बंटी व नितिन के रूप में हुई।
एक साल पुराने व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिए जुड़े थे
रविन्दर कुमार भरत अंतरराष्ट्रीय स्तर का मार्शल-आर्ट खिलाड़ी बताया जा रहा है। सचिन की 9 मई को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। गिरफ्तार किए गए छह युवकों के पास से सात मोबाइल फोन बरामद किये गये थे। ये सभी करीब एक साल पुराने व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिए जुड़े थे। पुलिस ने उनकी चैट सुरक्षित कर ली थी। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने दावा किया कि इन लोगों ने सहारनपुर सहित पश्चिमी यूपी के कुछ ठाकुर और गुर्जर नेताओं की हत्या करने की साजिश रची थी।
महाराणा प्रताप जयंती पर हुई थी संदिग्ध मौत
बताते चलें कि क्षत्रिय समाज ने महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर सहारनपुर के रामनगर में शोभायात्रा निकाली थी। इसी दौरान कमल वालिया के भाई की संदिग्ध रूप से गोली लगने से मौत हो गई थी। पिछले साल भड़की जातीय हिंसा के मामले में कमल वालिया भी जेल में बंद था, जो कुछ दिन पहले ही जमानत पर छूटकर बाहर आया है। पिछले साल सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप शोभायात्रा के दौरान हुए एक विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था।
इसके बाद विशेष जाति पर दलितों के साथ अत्याचार करने और उनके घर जलाने का मामला सामने आया था। इस मामले में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। उसे बाद में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
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