यूपी का स्वास्थ्य विभाग बीमार है, पढ़िए ये रिपोर्ट…

0

यूपी की बीमार चिकित्सा व्यवस्था की ये फोटो मात्र एक बानगी है, बीते माह से अब तक तकरीबन आधा दर्जन ऐसे केस देखने को मिले जिसमें किसी का मासूम बच्चा अस्पताल की लापरवाही की भेंट चढ़ गया तो कहीं किसी ने अपने 10 साल के बच्चे, तो किसी ने अपनी पत्नी को खो दिया। ताजा मामला बदायूं से सामने आया है जहां पत्नी की मौत के बाद कंधों पर लाश (deadbody) को ढोया गया।

laparwahi

सिस्टम ने मानो तय कर लिया है कि वह नहीं सुधरेगा…

एम्बुलेंस मिलने के अभाव में कन्नौज में एक युवक के अपनी बीमार पत्नी को ठेले पर नौ किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाने का मामला सामने आने के 24 घंटे बाद ही बदायूं में फिर मानवता शर्मसार हुई है। स्वास्थ्य विभाग में दावे भले ही जो भी कर लिए जाएं। सरकार बेशक बदल जाए लेकिन, सिस्टम ने मानो तय कर लिया है कि वह नहीं सुधरेगा…। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की हकीकत एक बार फिर सामने आ गई है। यहां पर एक युवक को अपनी पत्नी का शव कंधे पर लादकर जाना पड़ा।

laparwah

पत्नी के निधन से मानो उसका सब कुछ लुट गया

मानवता को शर्मसार करने वाला मामला मूसाझाग थाना क्षेत्र के गांव मझारा निवासी सादिक से जुड़ा है। सोमवार दोपहर वह 30 वर्षीया पत्नी मुनीशा की हालत बिगडऩे पर उसको जिला अस्पताल लाया गया। सादिक ने इमरजेंसी में पहुंचकर इलाज करने की गुहार लगाई लेकिन, जब तक इलाज ठीक से शुरू हो पाता, मुनीशा की सांसें थम गईं। पत्नी के निधन से मानो उसका सब कुछ लुट गया। गम में दिल वैसे ही बैठा जा रहा था फिर जब बारी शव घर ले जाने की आई तब भी जिम्मेदारों ने मुंह मोड़ लिया।

Also Read :  टला नहीं खतरा, आज भी दो से तीन बार आ सकती है आंधी, दिल्ली-NCR में अलर्ट

सादिक ने इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर से शव गांव तक पहुंचवाने की गुहार लगाई। जवाब मिला-सीएमएस से जाकर फरियाद करें। वह सीएमएस डॉ. आरएस यादव के पास पहुंचा। बिलखते हुए व्यथा बताई और गरीबी की दुहाई देकर गिड़गिड़ाता रहा, पर सीएमएस का भी दिल नहीं पसीजा। उल्टे दुत्कार कर भगा दिया। बाहर खड़ी प्राइवेट एंबुलेंस चालकों ने शव घर पहुंचाने के लिए उससे दो हजार रुपये की मांग की। जबकि जेब में मात्र डेढ़ सौ रुपये थे।

काफी देर तक गुहार लगाकर थक गया तो लाचार सादिक खुद ही शव कंधे पर डालकर डगमगाते कदमों से चल दिया घर की ओर…। हालांकि, रास्ते में कुछ उसके जैसे गरीब मगर ‘दिल के अमीर’ ठेले और रिक्शेवालों की नजर पड़ी तो वे मदद को आगे आए। चंदा जोड़कर शव गांव तक ले जाने के लिए वाहन किराये पर कराया।

सीएमओ डॉ. नेमी चंद्रा ने बताया कि जिला अस्पताल से शव को घर तक पहुंचाने के लिए सरकार ने दो शव वाहन दिए हैं। महिला का शव उसके घर तक पहुंचाने के लिए ईएमओ को शव वाहन भेजना चाहिए था। पूरे मामले से डीएम और शासन को अवगत करा दिया गया है, ईएमओ और सीएमएस दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

पहला मामला

अगर बीते माह से अब तक इस तरह के मामलों पर नजर डालें तो सप्ताह पहले एक मां अपने नवजात को आंचल में छिपा के अस्पताल में इधर उधर भटकती रही। उस नवजात को अस्पताल प्रशासन की तरफ से स्ट्रेचर तक नसीब नहीं हुआ।

दूसरा मामला लखनऊ के मेडिकल कालेज अस्पताल का है जहां एक भाई के शव को गोद में लेकर रोते बिलखते बड़े भाई ने डीएम की चौखट पर गुहार लगाई। 11 साल के विनोद को तेज बुखार था परिजन मेडिकल कालेज लेकर पहुंचे। पर्चा बनवाने और पैसे के अभाव में बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते मासूम की मौत हो गई।

उपचार के अभाव में तड़प-तड़प कर मौत

इसके बाद बच्चे के शव को गोद में लेकर भाई और परिजन ने डीएम की चौखट पर जाकर गुहार लगाई है। डीएम ने जांच के आदेश दे दिये हैँ।मेडिकल कालेज में डाक्टरों की संवेदनहीनता से बुखार पीडि़त बच्चे की उपचार के अभाव में तड़प-तड़प कर मौत हो गई। परिवारीजन ने मेडिकल कालेज स्टाफ पर लापरवाही व पैसों की मांग करने का आरोप लगाया। गोद में शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे भाई व अन्य परिवारीजन ने डीएम को पूरी बात बताई। डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं।

तीसरा मामला

तीसरा मामला एक महिला अपने दिव्यांग पति को अपने कंधों पर लाद कर सीएमओ ऑफिस के चक्कर काटती रही और अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी उसे एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर का चक्कर कटाते रहें। दरअसल, महिला को अपने दिव्यांग पति का विकलांग सर्टिफिकेट बनवाना था लेकिन अधिकारियों का उस मजबूर महिला पर दिल नहीं पसीजा।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More