हे दुख भंजन मारुती नंदन…पहला बड़ा मंगल आज
राजधानी लखनऊ में ज्येष्ठ मास के हर मंगल का अपना खास महत्व है। इसको बड़ा मंगल कहा जाता है। बड़ा मंगल पर आज लखनऊ में हनुमान मंदिरों में तड़के से ही भक्तों (devotees) का तांता लगा है। हनुमान सेतु मंदिर पर तो रात एक बजे से ही भक्त लाइन में लगे थे।ज्योतिषियों के मुताबिक कि बड़ा मंगल के दिन गुड़, गेंहू, मीठे पूड़ी का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
इस बार ज्येष्ठ माह में नौ बड़ा मंगल होगा
हनुमान जी इस दिन दान का विशेष फल देते हैं। सूबे की यूपी की राजधानी लखनऊ में ज्येष्ठ मास के बड़ा मंगल की अपनी एक विशेष महत्ता है। मई में सभी मंगलवार को यहां ‘बड़े मंगल’ के तौर पर मनाया जाता है।बड़ा मंगल पर्व आज से शुरू हो गया है। इस बार ज्येष्ठ माह में नौ बड़ा मंगल होगा। जिसे अद्भुत संयोग माना जा रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक यह संयोग दो जेठ लेकर आया है और इससे हनुमान भक्तों पर विशेष कृपा होगी।
पुराने हनुमान मंदिर में भी बड़े मंगल का विशेष मेला लगता है
इस पर्व को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है और बड़े मंगल का पर्व 26 जून तक जारी रहेगा। इस दौरान शहर से लेकर गांवों तक लोग स्टाल लगाकर जगह-जगह भंडारा करते हैं। वहीं, हनुमान सेतु मंदिर के साथ ही अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर में भी बड़े मंगल का विशेष मेला लगता है। जहां दूर-दूर से भक्तजन इकट्ठे होते हैं।ज्येष्ठ के हर मंगलवार का अलौकिक महत्व है। बड़ा मंगल को लोग ‘कामना पूरी’ के नाम से मानते हैं। बड़ा मंगल को बजरंग बली की सच्चे मन से पूजा करने वालों को बल, बुद्धि, विद्या एवं महालक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
Also Read : आज से ‘मिशन कर्नाटक’ पर मोदी, ताबड़तोड़ 3 रैलियां करेंगे
साथ ही, श्रद्धा भाव से किए गए भक्तों की सेवाओं से भगवान राम व उनके अनन्य भक्त मारुति नंदन प्रसन्न होते हैं।बड़ा मंगल के दिन गुड़, गेंहू, मीठे पूड़ी का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। हनुमान जी इस दिन दान का विशेष फल देते हैं। भगवान शंकर और श्रीराम ने हनुमान को वरदान दिया कि ज्येष्ठ माह के सभी मंगलवार को उनकी विशेष पूजा होगी। इस माह हनुमान का दर्जा राम से भी बड़ा होगा। इसी मान्यता के चलते ज्येष्ठ माह के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल मानते हुए श्रद्धालु विशेष पूजा अर्चना करते हैं।
जल और प्रसाद की भी व्यवस्था की जाती है
बजरंग बली को लेकर भक्तों में बड़ी आस्था है। ज्येष्ठ माह के पहले बड़े मंगल के चलते बजरंग बली के मंदिरों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। सब अपनी मनोकामना मांगने और दर्शन करने मंदिर जाते हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा की नजर से पुलिस प्रशासन मंदिर परिसर के बाहर और अंदर पुलिस बल तैनात किया जाता है। श्रद्धालुओं के लिए जल और प्रसाद की भी व्यवस्था की जाती है।कब से शुरू हुई बड़ा मंगल की परंपरा इतिहासकार बताते है कि नवाब सआदत अली के कार्यकाल वर्ष 1798-1814 के दौरान मंदिर का निर्माण हुआ था। उन्होंने अपनी मां आलिया बेगम के कहने पर मंदिर का निर्माण कराया था। संतान सुख की प्राप्ति होने पर आलिया बेगम ने मंदिर के निर्माण का वादा किया था, मंदिर के गुंबद पर चांद की आकृति हिंदू-मुस्लिम एकता की कहानी बयां करता है। मंदिरों के निर्माण के बाद से यहां मेला लगने लगा।
तब से यह परंपरा चलती आ रही है। यह भी कहा जाता है कि केसर का व्यापार करने कुछ व्यापारी आए थे और उनका केसर बिक नहीं रहा था। नवाब वाजिद अली शाह पूरा केसर खरीद लिया था। वह महीना ज्येष्ठ का था और मंगल था। व्यापारियों ने इसकी खुशी में यहां भंडारा लगाया था और तब से यह परंपरा चल पड़ी।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)