बालियान-साध्वी प्राची पर लगे केस हटाएगी योगी सरकार
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े मुकदमे वापस लेने का ऐलान कर चुकी है। 131 मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिनमें से 13 मुकदमे हत्या के हैं। ये सभी मामले 2013 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और शामली में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद दर्ज किए गए थे।
दो भाजपा सांसद और तीन भाजपा विधायक शामिल हैं
राज्य सरकार ने उन दो मुकदमों को भी वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो नफरत फैलाने वाले बयानों के कारण आपराधिक धाराओं में दर्ज किए गए थे। इन मुकदमों में कई भाजपा नेताओं को आरोपी बनाया गया था। जिनमें फायरब्राण्ड धर्म प्रचारक साध्वी प्राची, दो भाजपा सांसद और तीन भाजपा विधायक शामिल हैं।
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किन पर दर्ज हैं मुकदमे: दो मुकदमे 2013 में मुजफ्फरनगर में हिंसा से पहले हिन्दू समाज की महापंचायत बुलाने से जुड़े हुए हैं। साध्वी प्राची, बिजनौर से भाजपा सांसद कुंवर भारतेन्द्र सिंह और मुजफ्फरनगर के संजीव बालियान शामिल हैं। जबकि भाजपा विधायक उमेश मलिक, संगीत सोम और सुरेश राणा पर कथित तौर पर महापंचायत में शामिल होने का आरोप है।
मलिक मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना के विधायक हैं
हालांकि बालियान केन्द्रीय मंत्री सितंबर 2017 तक केन्द्रीय मंत्री रहे। सुरेश राणा यूपी सरकार में मंत्री हैं। उमेश मलिक मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना के विधायक हैं। जबकि सुरेश राणा शामली के थाना भवन सीट से विधायक हैं। जबकि सुरेश सोम मेरठ की सरधना विधानसभा सीट से विधायक हैं।
कवाल गांव के शहनवाज की 27 अगस्त को हत्या कर दी थी
कब और क्यों दर्ज हुए मामले: ये मामले महापंचायत के बाद सिखेरा पुलिस थाने में दर्ज किए गए थे। बता दें कि ये महापंचायत मंडोर इलाके के इण्टर कॉलेज में 31 अगस्त 2013 और 7 सितंबर, 2013 को आयोजित की गई थी। महापंचायत को दो लड़कों सचिन और गौरव की भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने के बाद आयोजित की गई थी। सचिन और गौरव पर आरोप था कि इन्होंने लड़की के साथ छेड़खानी का आरोप लगाकर कवाल गांव के शहनवाज की 27 अगस्त को हत्या कर दी थी। तीन हत्याओं के बाद 7 सितंबर, 2013 को पूरे इलाके में हिंसा भड़क उठी थी।
जनसत्ता
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