बिजली का निजीकरण, आखिर क्यों ?
क्या उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव ऊर्जा को कर्मचारी संगठनों से वार्ता करने के बाद योगी मंत्रीमण्डल का फैसला बदलने का अधिकार है ? दूसरी खबर यह है कि निजीकरण के मुद्दे पर बिजली कर्मचारी बंटे। खबर है कि यूपी पावर आफिसर्स एसोसिएशन सहित विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने 19 दिन से चल रहे आन्दोलन को वापस लेने का एलान कर दिया है।
अपना आन्दोलन जारी रखने का ऐलान किया है
जबकि वार्ता में शामिल न किए जाने से नाराज जूनियर इंजीनियर संगठन, कार्यालय सहायक संघ समेत कई संगठनों ने अपना आन्दोलन जारी रखने का ऐलान किया है।उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार बिजली वितरण, राजस्व वसूली आदि में सुधार के लिए लखनऊ, मुरादाबाद, मेरठ, गोरखपुर और वाराणसी में फ्रेंचाइजी व्यवस्था लागू करने का निर्णय ली है। इसी तरह मऊ, बलिया, रायबरेली, इटावा, कन्नौज, उरंई और सहारनपुर में इंटीग्रेटेड सर्विस प्रोवाइडर की व्यवस्था लागू की जाने वाली है। निजीकरण प्रक्रिया को योगी कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई।
जनता को निजीकरण के फायदे बता रहे हैं
हिन्दुस्तान अखबार में 6 अप्रैल को प्रथम पृष्ट पर यह खबर छपी है कि “वाराणसी में बिजली का निजीकरण नहीं होगा” ! जबकि इसी अखबार के दूसरे पेज पर खबर है कि “निजीकरण के मुद्दे पर बिजली कर्मी बंटे” !! आखिर सही क्या है ??फिलहाल निजीकरण के मुद्दे पर बिजली विभाग के कर्मचारी ही आन्दोलन कर रहे हैं।
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जनता मौन है। कुछ राजनीतिक दल जनता को निजीकरण के फायदे बता रहे हैं। बिजली ही नहीं बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रेलवे, यातायात, उत्पादन आदि के निजीकरण !! फिलहाल देश के 73 फीसदी प्राकृतिक संसाधनों पर सिर्फ एक प्रतिशत लोगों का अधिकार है। और 99 प्रतिशत लोग किसी तरह जीविका चला रहे हैं।
सच्चाई : जिसे मीडिया नहीं बताती !!
यूपी के सरकारी दफ्तरों, मंत्रियों और विधायकों पर लगभग दस हजार करोड़ का बिजली का बिल बाकी है। बिजली बिभाग के घाटे की वजह सरकार है। आखिर योगी सरकार के मंत्री अपनी बिजली की बिल कब जमा करेंगे ??
बिजली विभाग के आंकड़ों के मुताबिक
1. सरकारी वीआईपी गेस्ट हाउस पर
2,65,00000 रूपये
2. मल्टी स्टोरी आवास पर
1,47,00000 रूपये
3. स्पीकर हृदयनारायण दीक्षित पर
12,64000 रूपये
4. खेल मंत्री चेतन चौहान पर
17,72,000 रूपये
5. बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा पर
6,51,000 रूपये
6. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही पर
9,28,000 रूपये
8. डिप्टी सीएम केशव मौर्या पर
10,80,000 रूपये
9. शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना पर
9,20,000 रूपये
10. औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महान पर
7,83,000 रूपये
11. वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल पर
9,00,000 रूपये बिजली बिल बाकी है।
बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा के अनुसार बिजली विभाग 72000 करोड़ के घाटे में है। एनडीए के सांसद बजट सत्र में काम न होने के कारण अपना 23 दिन का वेतन नहीं लेंगे। वो, तो ठीक है लेकिन यूपी की योगी सरकार के उनके मंत्री अपने बिजली बिल का बकाया कब देंगे। योगी सरकार के एक वर्ष तो पूरे हो गए हैं। सरकार की उपलब्धियां भी बताई जा रही हैं।
सुरेश प्रताप
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