तीन तलाक के बाद ‘हलाला’ पर होगा सुप्रीम फैसला !

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निकाह हलाला और बहुविवाह असंवैधानिक है या नहीं, इस बात की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) करेगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने मामले को संवैधानिक बेंच को रेफर करने का फैसला किया है। साथ ही निकाह हलाला, बहुविवाह को असंवैधानिक घोषित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।

हलाला, बहुविवाह के खिलाफ याचिका

सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में दाखिल याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) ऐप्लिकेशन ऐक्ट 1937 की धारा-2 को असंवैधानिक घोषित किया जाए क्योंकि इसके तहत बहुविवाह और निकाह हलाला को मान्यता दी जाती है। तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद निकाह हलाला और बहुविवाह के संवैधानिक पहलू को सुप्रीम कोर्ट परखेगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पिछले साल 22 अगस्त को एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर चुका है।

5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच का होगा गठन

चीफ जस्टिस के सामने दलील दी गई कि 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करते हुए निकाह हलाला और बहुविवाह के मुद्दे को ओपन छोड़ा था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि निकाह हलाला और बहुविवाह की संवैधानिकता को परखने के लिए पांच जजों की संवैधानिक बेंच का नए सिरे से गठन किया जाएगा।

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बीजेपी नेता सहित 4 की अर्जी पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से अर्जी दाखिल की गई है। साथ ही दिल्ली की दो मुस्लिम महिलाओं की ओर से भी अर्जी दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से अर्जी दाखिल कर भारत सरकार के लॉ मिनिस्ट्री और लॉ कमिशन को प्रतिवादी बनाया गया है।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि निकाह हलाला और बहु विवाह संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार), 15 (कानून के सामने लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं) और अनुच्छेद-21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि पर्नसल लॉ पर कॉमन लॉ की वरीयता है और कॉमन लॉ पर संवैधानिक कानून की वरीयता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तीन तलाक धार्मिक गतिविधियों का हिस्सा नहीं है।

दिल्ली की समीना बेगम की याचिका

राजधानी दिल्ली में जसोला विहार की रहने वाली समीना बेगम की ओर से भी अर्जी दाखिल कर निकाह हलाला और बहु विवाह को चुनौती दी गई है। इनकी ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि मुस्लिम पर्नसल लॉ ऐप्लिकेशन ऐक्ट 1937 की धारा-2 निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता देता है और यह संविधान के अनुच्छेद-14,15 और 21 का उल्लंघन करता है लिहाजा इसे असंवैधानिक और गैरकानूनी घोषित किया जाए। याचिका में कहा गया कि वह खुद विक्टिम हैं। समीना के पति ने शादी के बाद उन्हें प्रताड़ित किया और दो बच्चे होने के बाद लेटर के जरिए तलाक दे दिया। उन्होंने फिर दूसरी शादी की लेकिन दूसरे पति ने भी तलाक दे दिया।

‘निकाह हलाला पर रेप का केस दर्ज हो’

समीना का कहना है कि निकाह हलाला और बहुविवाह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक असंवैधानिक हो चुका है लेकिन फिर भी जारी है। तीन तलाक देने वालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस होना चाहिए। निकाह हलाला करने वालों के खिलाफ रेप का केस दर्ज होना चाहिए जबकि बहुविवाह करने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा-494 के तहत केस दर्ज हो। याचिकाकर्ता ने शरियत एक्ट की धारा-2 को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई। साथ ही निकाह हलाला, बहुविवाह और तीन तलाक देनेवालों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज करने का प्रावधान करने की गुहार लगाई है।

नफीसा खान की भी है याचिका

दिल्ली में महरौली की रहनेवाली नफीसा खान की ओर से कहा गया है कि उनका निकाह 5 जून 2008 को हुआ था। वह शादी के बाद अपने ससुराल में रहीं, उनके दो बच्चे हुए। इसके बाद दहेज की मांग हुई और उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा। उनके चरित्र पर लांछन लगाया गया और फिर पति ने तलाक के बिना ही दूसरी शादी कर ली। ये शादी 26 जनवरी 2018 को की गई। जब उन्होंने पुलिस को शिकायत की और पति के खिलाफ पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी करने का आरोप लगाया और आईपीसी की धारा-494 के तहत केस दर्ज करने की गुहार लगाई तो पुलिस ने मना कर दिया और कहा कि शरियत इसकी इजाजत देता है।

मुताह और मिस्यार निकाह को भी चुनौती

सुप्रीम कोर्ट में हैदराबाद के मौलिम मोहिसिन बिन हुसैन ने याचिका दायर कर मुसलमानों में प्रचलित मुताह और मिस्यार निकाह को अवैध घोषित करने की मांग की गई है।

तीन तलाक पर हो चुका है जजमेंट

22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में एक बार में तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीन तलाक प्रैक्टिस अवैध, असंवैधानिक और अमान्य है।

क्या है निकाह हलाला?

एडवोकेट एमएस खान बताते हैं कि पति ने अगर पत्नी को तलाक दे दिया और उसे इस बात का अहसास हो गया कि उससे गलती हो गई है और वह फिर से अपनी पत्नी के साथ संबंध बहाल रखना चाहता है तो महिला को निकाह हलाला से गुजरना होगा। इसके तहत तलाकशुदा को दूसरे आदमी से निकाह करना होगा और संबंध बनाने होंगे फिर उसे तलाक देकर पूर्व पति से निकाह किया जा सकता है। इसके पीछे तर्क ये है कि प्रक्रिया ऐसी बनाई जाए कि कोई यूं ही तलाक न दे यानी तलाक को मजाक न बनाया जाए।

क्या है बहुविवाह?

एडवोकेट खान बताते हैं कि इस्लामिक प्रथा में बहुविवाह का चलन है। इसके तहत एक आदमी को चार शादियां करने की इजाजत है। इसके पीछे धारणा है कि अगर कोई विधवा है या बेसहारा औरत है तो उसे सहारा दिया जाए। समाज में ऐसी औरतों को बुरी नजर से बचाने के लिए उसके साथ शादी की इजाजत दी गई थी। हालांकि समय के साथ इस कानून के दुरुपयोग से इनकार नहीं किया जा सकता है।

मुताह और मिस्यार निकाह

ये निकाह तय समय के लिए होता है और मेहर की रकम तय हो जाती है। शादी से पहले ही यह कॉन्ट्रैक्ट हो जाता है।

नवभारत टाइम्स

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