सांसद की पत्नी ने किया खुलासा …उनके साथ हुआ उत्पीड़न
केरल के कोटयाम से सांसद जोश के मणी की पत्नी ने खुलासा किया है कि ट्रेन में सफर करने के दौरान उनका उत्पीड़न हुआ था। सांसद की पत्नी नीशा जोश का कहना है कि उन्हें प्रताड़ित किसी सामान्य व्यक्ति ने नहीं बल्कि एक बड़े नेता के बेटे ने किया था। यह खुलासा नीशा ने हाल ही में लॉन्च हुई अपनी किताब ‘द अदर साइड ऑफ लाइफ’ में किया है।
नाम का खुलासा अपनी किताब में नहीं किया है
उत्पीड़न की घटना नीशा के साथ कोटयाम- तिरुवनंतपुरम ट्रेन में हुई। अपनी किताब में नीशा ने दावा किया है कि स्टेशन पर एक राजनेता के बेटे ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी। हालांकि नीशा ने उस राजनेता और उसके बेटे के नाम का खुलासा अपनी किताब में नहीं किया है।नीशा ने अपनी किताब में दावा किया कि युवक ने अपने पिता का नाम लेते हुए उनसे कहा था कि वह त्रिवेंद्रम अपने ससुर को देखने के लिए जा रहा है, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
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नीशा ने किताब में लिखा, “जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आई मैं उस में चढ़ गई। मेरा साइड वाला लॉअर बर्थ था। मैं बहुत थक चुकी थी इसलिए मैं केवल सोना चाहती थी क्योंकि कोटयाम पहुंचने में कुछ समय लगता, लेकिन उस व्यक्ति की कुछ और ही योजना थी। वह आया और मेरे पास बैठ गया। मैंने यह सुनिश्चित किया कि मैं उससे दूरी पर बैठूं क्योंकि मुझे बहुत ही असहज लग रहा था। इसके बाद वह मुझे बताने लगा कि वह क्यों अपने ससुर से मिलने जा रहा है, जो कि अस्पताल में भर्ती थे।
व्यक्ति को मेरी सीट से हटाने में मेरी मदद करें
”किताब के अनुसार नीशा ने कहा, “मैंने उसे बहुत विन्रमता के साथ हिंट दिया कि मुझे बहुत नींद आ रही है लेकिन उसे मेरे हिंट की जरुरत दिखाई नहीं दी और वह बोलते ही जा रहा था। इससे मुझे काफी परेशानी हो रही थी। मैं सीधा टीटीआर के पास गई और अपनी परेशानी बताते हुए उससे सिफारिश की कि वह उस व्यक्ति को मेरी सीट से हटाने में मेरी मदद करें।
टीटीआर ने मुझसे कहा, ‘अगर यह व्यक्ति अपने पिता की तरह है तो मैं इसमें दखल देने की हिम्मत नहीं कर सकता। आप लोग राजनीतिक तौर पर दोस्त भी हैं। बाद में यह सब मेरे सिर पर आएगा’उन्होंने लिखा, “यह सुनकर मुझे बहुत निराशा हुई, लेकिन इसमें टीटीआर की भी कोई गलती नहीं थी क्योंकि सभी दुनिया में रहने के लिए किसी से दुश्मनी नहीं करते।
हाथ मेरे पैर की उंगलियों को छू कर निकलता
मैंने अपना चेहरा एक चुन्नी से कवर कर लिया। मैं सीट पर अपने घुटने सिकुड़कर बैठ गई। जब वह अपनी मुद्रा बदलता तो उसका हाथ मेरे पैर की उंगलियों को छू कर निकलता। ऐसा कई बार हुआ और हर बार यह उससे ‘गलती’ से हो रहा था। मुझे बहुत ही असहज महसूस हो रहा था। मैं जानती थी कि उसने ‘लक्ष्मण रेखा’ पार कर दी है। आखिर में मैंने उससे बहुत ही आराम से कहा कि यहां से जाओ।”
जनसत्ता
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