ओला-उबर ड्राइवर्स, CA सुधारेंगे मोदी सरकार के रोजगार आंकड़े

0

बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर विपक्ष के तीखे हमले झेल रही मोदी सरकार जॉब डेटा में बड़ा बदलाव करने वाली है। देश के एंप्लॉयमेंट डेटा में ओला और उबर ड्राइवर्स, रजिस्टर्स प्रफेशनल चार्टेड अकाउंटेंट्स, कंपनी सेक्रटरीज, मेडिकल प्रैक्टिशनर्स और ई-कॉमर्स फर्म्स में डिलिवरी मैन का काम कर रहे लोगों को भी शामिल किया जाएगा। जॉब डेटा की कमियों को दूर करने के लिए सरकार तकनीक आधारित तरीके अपनाने वाली है।

ICAI से सालाना रजिस्ट्रेशन का डेटा इकठ्ठा कर रही है

बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर विपक्ष के तीखे हमले झेल रही मोदी सरकार जॉब डेटा में बड़ा बदलाव करने वाली है। देश के एंप्लॉयमेंट डेटा में ओला और उबर ड्राइवर्स, रजिस्टर्स प्रफेशनल चार्टेड अकाउंटेंट्स, कंपनी सेक्रटरीज, मेडिकल प्रैक्टिशनर्स और ई-कॉमर्स फर्म्स में डिलिवरी मैन का काम कर रहे लोगों को भी शामिल किया जाएगा। जॉब डेटा की कमियों को दूर करने के लिए सरकार तकनीक आधारित तरीके अपनाने वाली है।नीति आयोग की डेटा ऐनालिटिक्स सेल कैब सर्विस में काम करने वाले ड्राइवर्स, प्रैक्टिस कर रहे वकीलों के लिए बार काउंसिलों, मेडिकल काउंसिल, ICAI से सालाना रजिस्ट्रेशन का डेटा इकठ्ठा कर रही है।

also read :  भाजपा विधायक के बिगड़े बोल…खूब बच्चें पैदा करे हिंदू भाई

नीति आयोग के एक अधिकारी ने बताया, ‘हम देश के पेरोल डेटा को जुटा रहे हैं जिससे रोजगार के आंकड़ों पर असर पड़ेगा जो ईपीएफओ और ईएसआईसी से अलग होंगे।’ अधिकारी ने बताया कि रोजगार के नए आंकड़े अक्टूबर की शुरुआत में आएंगे। उन्होंने कहा, ‘इन आंकड़ों को जुटाने में हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि ये कंपनियां प्रतिद्वंदियों के कारण असल डेटा शेयर करने से पीछे हट रही हैं।’ एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस प्रक्रिया में समय लगेगा। उन्होंने कहा, ‘हमने बातचीत शुरू कर दी है लेकिन इसे पूरा करने में और उन्हें कवर करने में समय लगेगा।’ सरकार के इस कदम से जॉब डेटा में बड़ा बदलाव आएगा।

रोजगार की सही तस्वीर नहीं मिल पाएगी

इस मुद्दे पर विवाद तब हुआ था जब दो एक्सपर्ट्स को ईपीएफओ डेटा का एक्सेस दो एक्सपर्ट्स को दिया गया था और उन्होंने बताया था कि इस वित्त वर्ष में 70 लाख रोजगार के जुड़ेंगे। इस डेटा पर कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रॉविडेंट फंड सब्सक्राइबर्स के जुड़ने से रोजगार की सही तस्वीर नहीं मिल पाएगी। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए जॉबलेस ग्रोथ और रोजगार के अवसर न पैदा होना एक बड़ा मुद्दा है। भारत की अभी वर्कफोर्स 50 करोड़ के करीब है, जिसमें ऑर्गनाइज्ड सेक्टर का हिस्सा 10 प्रतिशत के आसपास है।

सामाजिक सुरक्षा की स्कीम्स में आते हैं

इंडस्ट्री के अनुमानों के मुताबिक, ओला और उबर जैसी कैब सर्विसेज से 10 लाख के करीब ड्राइवर्स जुड़े होंगे। ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों से 3.50 लाख डिलिवरी मैन जुड़े हैं। डिलिवरी मैन तो EPFO और ESIC जैसी सामाजिक सुरक्षा की स्कीम्स में आते हैं। नीति आयोग के नए आंकड़ों में इनको अलग से शामिल करने से डेटा ओवरलैप हो सकता है। नीति आयोग के अधिकारी ने बताया, ‘हम इस बात को लेकर सतर्क हैं कि इनमें से कुछ सामाजिक सुरक्षा में कवर होंगे। आइडिया यह है कि उन लोगों को भी शामिल किया जाए जो किसी सामाजिक सुरक्षा के तहत नहीं आते।’

NBT

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More