साईं बाबा के जीवन से जुड़ी 15 रोचक बातें, जानकर दंग रह जाएंगे आप
ऐसा माना जाता है कि हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं। हिंदु धर्म ऐसा धर्म, जिसको मानने वाले पत्थर में ईश्वर ढूंढ लेते हैं। यह इस धर्म की महानता ही है कि यहां सभी धर्मों को बराबर सम्मान दिया जाता है। इस धर्म में एक ऐसे संत भी हुए, जिन्हें आगे चलकर भगवान का दर्जा प्राप्त हो गया। साईं बाबा किसी धर्म और किसी जाति को नहीं मानते थे। उनका सबसे कहना था कि ‘सबका मालिक एक है’। और उस सिद्ध पुरुष का नाम है ‘साईं बाबा’। जिन्हें उनके भक्त ‘सिरडी के साईं बाबा’ के नाम से पुकारते हैं।आज हम आपको साईं बाबा के जीवन से जुड़ी कुछ खास जानकारी देंगे…
1-साईं बाबा का जन्म 19वीं सदी में महाराष्ट्र के शिरडी कस्बे में हुआ था। लेकिन उनके असली नाम, उनके माता-पिता या उनके जन्म से संबंधित अभी तक कोई भी जानकारी नहीं मिली है।
2-इतिहास में इतना ही पता लग पाया है कि वे एक भारतीय गुरु, योगी और फकीर थे. जिन्हें उनके भक्त संत कहकर पुकारते थे।
3-जब साईं बाबा से उनके पूर्व जीवन के बारे में पुछा जाता था तो वे टाल-मटोल उत्तर दिया करते थे।
4-साईं बाबा 16 वर्ष की उम्र में अहमदनगर जिले के शिरडी गांव में पहुचे, यहां पर उन्होंने एक नीम के पेड़ के नीचे आसन में बैठकर तपस्वी जीवन बिताना शुरू कर दिया।
5-जब गांव वालों ने उन्हें देखा तो वो चौंक गये, क्योंकि इतने युवा व्यक्ति को इतनी कठोर तपस्या करते हुए उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। वो ध्यान में इतने लींन थे कि उनको सर्दी, गर्मी और बरसात का कोई एहसास नही होता था।
6-दिन में उनके पास कोई नहीं होता और रात को वो किसी से नही डरते थे। उनकी इस कठोर तपस्या ने गांववालों का ध्यान उनकी ओर खींचा और कई धार्मिक लोग रोज उनको देखने के लिये आते थे।
7-कुछ लोग बाबा को पागल कहकर उन पर पत्थर फेंकते थे। साईं बाबा एक दिन अचानक गांव से चले गये और किसी को पता नहीं चला।
8-तीन साल तक शिरडी में रहने के बाद वे अचानक से गायब हो गये। उसके बाद एक साल बाद वो फिर शिरडी लौटे और हमेशा के लिए वहां बस गये।
9-सन् 1858 में बाबा सिरडी वापस लौटे थे। लेकिन उनकी वेशभूषा कुछ अलग सी हो गयी थी, जिसमें उन्होंने घुटनों तक एक कफनी बागा और एक कपड़े की टोपी पहन रखी थी।
10-बाबा को देखकर कोई उनके बारे में पता नहीं लगा पाता था कि वे किस जाति और किस धर्म से हैं इसलिए उन्हें सामाजिक तौर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों से सत्कार नहीं मिल पाया।
11-कहीं जगह ना मिलने पर बाबा ने एक जर्जर मस्जिद में अपना घर बना लिया और वहीं अपने दिन बिताने लगे। वहां बैठने से लोग उन्हें भीख भी देने लगे।
12-वहां बाबा ने एक लौं जलाई और उसमें से निकलने वाला राख लोगों को देते थे जिससे लोगों की बीमारी दूर होने लगी। ऐसा माना जाता है कि उस राख में चिकित्सिक शक्ति थी।
13-साईं बाबा ने “सबका मालिक एक” का नारा दिया था। जिससे हिन्दूओं और मुस्लिमों में सद्भाव बनी रहे। उन्होंने अपने जीवन में हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों को महत्वता दिया। वो अक्सर कहा करते थे “मुझ पर विशवास करो, तुम्हारी प्रार्थना का उत्तर दिया जाएगा”। वो हमेशा अपनी जबान से “अल्लाह मालिक” बोलते रहते थे।
14-साईं बाबा की मृत्यु 15 अक्टूबर सन् 1918 को शिरडी गांव में ही हुयी थी। मृत्य के समय उनकी उम्र 83 वर्ष थी।
15-साईं बाबा ने अपने पीछे ना कोई वारिस और ना कोई अनुयायी को छोड़ा। इसके अलावा उन्होंने कई लोगों के अनुरोध के बावजूद किसी को दीक्षा नहीं दी। उनके कुछ अनुयायी अपने आध्यात्मिक पहचान की वजह से प्रसिद्ध हुए जिनमें सकोरी के उपासनी महाराज का नाम आता है।