हौसले को सलाम : बिना आखों के जीत ली ‘दुनिया’
आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताएंगे, जो कि 80 फीसदी दृष्टिबाधित है, बावजूद उसके दुनिया को मुट्ठी में कर लिया। उसने साबित कर दिया कि अगर हौसला, जज्बा, लगन है तो आप कोई काम कर सकते हैं और सफलता आपकी कदमों में होगी। और मेहनत से ये साबित कर दिया कि चाहें कितनी भी बंधाएं आ जाए कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
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दरअसल 21 वर्षीय प्राची सुखवानी 80 फीसदी दृष्टिबाधित छात्रा है भले ही उनकी दृष्टि दिन-ब-दिन कमजोर हो रही थी, लेकिन उनकी नजरें दुनिया के अग्रणी मैनेजमेंट संस्थानों में से एक इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट-अहमदाबाद से पढ़ाई करने के लक्ष्य पर टिकी थीं।
प्राची ने महाराजा सायाजिराव यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ कॉमर्स में बिजनस ऐडमिनिस्टेशन में बैचलर कोर्स किया है। कैट 2016 में उसने 98.55 फीसदी अंक हासिल किए। जब प्राची तीन साल की थी तो मैक्युलर डिस्ट्रॉफी जिसे रेटिनल डिग्रेडेशन के नाम से भी जाना जाता है, का शिकार हो गई।
इस नेत्र दोष के कारण धीरे-धीरे उनकी दृष्टि क्षमता कम होती गई और अब वह 80 फीसदी दृष्टि बाधित हैं। इस दुर्गम जेनेटिक विकार का कोई उपचार नहीं है, लेकिन यह बीमारी उनके लक्ष्यों को हासिल करने के मार्ग में बाधा नहीं बन सकी।
प्राची के पिता सुरेश सुखवानी ने बताया कि जब प्राची 15 साल की थी तो उनको चेन्नई में डॉक्टरों के पास ले जाते थे। डॉक्टरों ने उनको पढ़ने के लिए स्पेशल ग्लास पहनने की सलाह दी थी। उनका गारमेंट का बिजनेस है।
सुरेश ने बताया, उनको देश के सभी तीन टॉप आईआईएम यानी आईआईएम-अहमदाबाद, आईआईएम-बेंगलुरु और आईआईएम-कोलकाता से कॉल आई और वहां उन्होंने इंटरव्यू दिया। प्राची ने बताया, ‘मेरा शॉर्ट टर्म गोल कोई कंपनी खासतौर पर मल्टिनेशनल को जॉइन करना है। जब मुझे कुछ अनुभव हो जाएगा तो अपना स्टार्टअप खोलूंगी। लेकिन मेरा लॉन्ग टर्म गोल नेत्रहीन लोगों के लिए एक एनजीओ खोलना है। प्राची के अब तक के सफर की यह कहानी मौजूदा दौर के युवाओं के लिए प्रेरणा का विषय है।