अनोखा बैंक : यहां मिलती है शादी से लेकर अंतिम संस्कार तक की फ्री लकड़ी
यूपी के औरया जिले में एक महिला ग्राम प्रधान गरीबों को शादियों से लेकर अंतिम संस्कार के लिए मुफ्त लकड़ी मुहैया करा रही है। इस ग्राम प्रधान का नाम है साधना दूबे। उन्होंने अपने हसबैंड के साथ मिलकर अपने गांव में एक लकड़ी बैंक की स्थापना की है। खास बात यह है कि वह पेड़ को जड़ से कटवा कर लकड़ी नहीं जुटाती है। बल्कि ग्राम पंचायत के एक पेड़ से सिर्फ एक टहनी काटी जाती है। साधना दूबे और उनके हसबैंड ने राजू दूबे ने DainikBhaskar.com से बातचीत के दौरान अपने एक्सपीरियेंस शेयर किए।
ऐसे आया लकड़ी बैंक का आइडिया
साधना दूबे जिले के अछल्दा ब्लाक की ग्राम पंचायत हरचंदपुर की ग्राम प्रधान है। साधना बताती है कि मेरे ग्राम पंचायत की कुल आबादी करीब 20 हजार के आस पास है। गांव के ज्यादातर लोग मजदूरी या फिर छोटी मोटी नौकरी कर अपना और अपने परिवार का पेट पालते है।
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कई परिवार ऐसे है जो बेटी की शादी या फिर अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी खरीदने में असमर्थ है। मैं 2015 में जब ग्राम प्राधान बनी तब गांव के गरीब परिवारों को लकड़ी के लिए दर-दर भटकते हुए देखा। इसके बाद ये बात अपने हसबैंड को बताई। मेरे हसबैंड ने डीपीआरओ के सजेशन पर 2016 में लकड़ी बैंक की स्थापना की।
अब तक इतने क्विंटल लकड़ी कर चुके है दान
राजू दूबे बताते है, अब तक 35 क्विंटल लकड़ी गरीब परिवार की बेटियों की शादी और अंतिम संस्कार के लिए फ्री में दी जा चुकी है। स्टोर में अभी 15 क्विंटल लड़की बची हुई है। उसे जरुरतमंद लोगों के लिए रखा गया है। गरीब परिवार जरूरत के हिसाब से लकड़ी प्राप्त कर सकता है। उसे कोई खास रुल फालो नहीं करना होता है।शादी ब्याह का कार्ड दिखाकर या फिर गवाह लाकर शादी या फिर अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी ली सकती है।
लकड़ी की उपलब्धता बनी रहे, करते है ऐसा काम
राजू बताते है, जिन लोगों के घरों को बनाने में लकड़ी का ज्यादा इस्तेमाल हुआ है और उन्हें बाद में प्रधानमन्त्री आवास योजना के तहत घर मिल चुका है। जिसके बाद से उनके घरों में लकड़ियों बेकार पड़ी हुई है। ऐसे लोगों के पास जाकर हम कुछ लकड़ियां लकड़ी बैंक में जमा करने की अपील करते है। जिसे अमूमन लोग मान भी लेते है। वहीं जिन लोगों के पास एक से ज्यादा पेड़ है।
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ऐसे लोगों से हम पेड़ की एक टहनी कटवाकर लकड़ी बैंक में जमा करने के लिए कहते है। इस तरह से लोगों को लकड़ी देने में भी कोई प्रोब्लम नहीं होती है और बैंक में लकड़ी की बराबर सप्लाई बनी रहती है। ये लोगों में जागरूकता का ही परिणाम है कि एक साल के अंदर 50 क्विंटल लकड़ी जमा हो गई और उसमें से 35 क्विंटल लकड़ी जरूरतमंदों को फ्री में दी भी जा चुकी है।
पर्यावरण को न हो कोई नुकसान
राजू बताते है, मेरे गांव में पेड़ों की अच्छी खासी संख्या है। हम ऐसे लोगों के घरों पर जाकर उनसे लकड़ी दान करने के लिए कहते है जिनके पास ज्यादा की संख्या में पेड़ है। पर्यावरण को कोई नुकसान न हो इसके लिए हम लोगों से कहते है कि वे जड़ से पूरा पेड़ न कटवाएं बल्कि पेड़ की एक ठहनी कटवाकर उसे लकड़ी बैंक में जमा कराए। इस तरह से उस पेड़ का कई वर्ष बाद दोबारा नंबर आता है। इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। पेड़ हरा भरा बना रहता है। लोगों को भी ये सुझाव काफी पसंद आ रहा है और वे लकड़ी दान करने के लिए खुद आगे आ रहे है। लोगों के साथ बैठक करके पर्यावरण के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है।
दैनिक भास्कर
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