यूपी : स्वेटर बांटने से शिक्षकों का इनकार

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बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को नि:शुल्क स्वेटर मिलना अब भी मुश्किल लग रहा है। शासन ने इसके लिए आनन-फानन में शिक्षकों के कंधे पर जिम्मेदारी डाल दी, लेकिन उन्होंने इससे हाथ खड़े कर दिए हैं। शिक्षक संगठनों ने शासन-प्रशासन से साफ कह दिया है कि इतने कम मूल्य में स्वेटर उपलब्ध करवाना संभव नहीं है।

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प्रशासन खुद खरीद और वितरण की व्यवस्था करे। तीन महीने की कवायद के बाद जब बेसिक शिक्षा विभाग स्वेटर के टेंडर की ‘गांठ’ नहीं खोल सका तो बुधवार को एकाएक आदेश जारी कर इसकी जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंध समितियों के जरिए शिक्षकों पर डाल दी गई। खास बात यह है कि शनिवार से ही स्वेटर वितरण शुरू करने को कहा गया है और एक महीने में वितरण पूरा भी करना है। शिक्षक संगठनों ने इस आदेश का मुखर विरोध शुरू कर दिया है।

सरकार नहीं खरीद पाई तो हम कैसे खरीदें

शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को जिलों में डीएम को लिखे पत्र में इसकी वजह गिनाईं हैं। इसमें कहा गया है कि सबसे कम 249.75 रुपये की बोली लगाने वाली फर्म भी महज लखनऊ में ही स्वेटर वितरित करने को तैयार थी। इसलिए टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दोबारा टेंडर किया गया। 248.13 रुपये प्रति स्वेटर का रेट डालने वाली फर्म को भी टेंडर नहीं दिया गया तो शिक्षक 200 रुपये में कहां से गुणवत्तापूर्ण स्वेटर बांट देंगे।

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यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा का कहना है कि जहां छात्र संख्या कम है, वहां कोटेशन की गुंजाइश है। 1 लाख से अधिक मूल्य पर टेंडर करवाना होगा। ऐसे में स्वेटर का वितरण तो फर्मों की उपलब्धता पर ही निर्भर करेगा। फिर एक महीने में कैस स्वेटर बंट पाएंगे। शिक्षक नेता विनय कुमार सिंह का कहना है शिक्षक स्वेटर बंटवाने के लिए कतई तैयार नहीं हैं। वैसे भी यह गैर-शैक्षणिक कार्य है। प्रशासन खुद इसकी खरीद और वितरण का जिम्मा संभाले।

जल्द ही इस दिशा में फैसला किया जाएगा

दिनेश चंद्र शर्मा, अध्यक्ष, यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ   ने कहा कि शिक्षकों के जरिए स्वेटर खरीद और वितरण का आदेश व्यवहारिक नहीं है। यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। हम सभी जिलों के संपर्क में हैं। जल्द ही इस दिशा में फैसला किया जाएगा।

संभव कार्य का दायित्व सौंप दिया गया है

विनय कुमार सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन ने कहा कि अचानक तुगलकी फरमान जारी कर शिक्षकों को असंभव कार्य का दायित्व सौंप दिया गया है। जो काम सरकार 3 महीने में नहीं कर सकी, वह शिक्षक 30 दिन में कैसे कर सकते हैं?

(nbt)

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