बीजेपी के दबाव में ममता ने बदली रणनीति?

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बंगाल के ग्रामीण इलाकों में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव ने राज्य की सीएम ममता बनर्जी को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है। ममता बनर्जी अब अपने कार्यक्रमों से खुद के ‘सहिष्णु हिंदू’ होने का संदेश दे रही हैं। बीते मंगलवार को राज्य की सीएम ने अपने गंगासागर दौरे के दौरान कपिलमुनि आश्रम में मुख्य पुजारी के साथ करीब घंटा बिताया।

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सीएम ने कहा, ‘मैं इस जगह दोबारा आऊंगी।’ ममता के इस कदम को उनकी अल्पसंख्यक समर्थक छवि को काउंटर करने के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि बीते दिनो राज्य में हुए उपचुनावों में सबांग और दक्षिण कांति जैसी जगहों पर बीजेपी के वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई है। ये दोनों ही जगह ऐसी हैं, जहां बीजेपी कभी भी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं रही। सबांग विधान सभा क्षेत्र में तृणमूल को जहां 1,06,179 वोट मिले हैं, वहीं बीजेपी 37,476 वोट मिले हैं।

तारकेश्वर और कालीघाट मंदिर के रेनोवेशन के लिए भी बोर्ड बनाया है

चौंकाने वाली बात यह है कि 2016 के चुनाव में यहां बीजेपी को महज 5610 वोट मिले थे। माना जा रहा है कि टीएमसी प्रमुख को इस बात का अहसास हुआ है कि बीजेपी चुनावों के दौरान हिंदुओं को एकजुट करने में सफल हो रही है। मोदी ने अपने ‘हिंदू कैंप’ में ओबीसी और एससी वोटों को भी शामिल कर लिया है। इसके साथ बीजेपी यह संदेश देने में भी सफल रही है कि उनकी पार्टी सिर्फ ब्राह्मण और अपर कास्ट हिंदुओं की पार्टी नहीं है। इसके बाद ममता ने समय बर्बाद न करते हुए एससी अडवाइजरी काउंसिल बनाने का फैसला लिया है। साथ ही उत्तर बंगाल में राजबंशी के लिए अलग वेलफेयर बोर्ड बनाने का फैसला भी लिया है। इसके अलावा सीएम ने तारापीठ, तारकेश्वर और कालीघाट मंदिर के रेनोवेशन के लिए भी बोर्ड बनाया है।

(साभार-एनबीटी)

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