मुजफ्फरनगर दंगा: 4 साल बाद मुस्लिम-जाट समुदायों ने मिलाया हाथ
साल 2013 में मुजफ्फनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों में करीब 63 लोग मारे गए थे और 50 हजार से भी ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे। इस दंगे ने पूरे देश में राजनीतिक बहस शुरू कर दी थी और तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। अब इस घटना के चार साल बाद मुस्लिम और जाट समुदाय के लोगों ने इलाके में अमन और शांति के साथ रहने का फैसला किया है।
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इसके लिए वे एक खास सौदे पर काम कर रहे हैं। दोनों ओर से प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव से उनके दिल्ली स्थित आवास में मुलाकात कर इस बारे में बात भी की। इस मुलाकात में शामिल नेताओं ने बताया कि दोनों पक्ष एक सौदा चाहते हैं जिसके अनुसार दंगे के बाद दोनों समुदाय के लोगों पर चल रहे मुकदमे वापस लिए जाएं।
शांति बहाली की पहल
बता दें कि दंगों के बाद हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे के खिलाफ कोर्ट गए थे। अखिलेश सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रह चुके ओमपाल नेहरा इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि मीटिंग मुलायम के नेतृत्व में हुई। उन्होंने आगे बताया, ‘मुजफ्फनगर के दोनों समुदाय के लोग दिल्ली में नेताजी से मिले। इस मीटिंग का नतीजा यह निकला है कि एक कमिटी गठित की जाएगी जो मुलायम के दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करेगी। इस कमिटी के सदस्य दंगा पीड़ित होंगे और इसका उद्देश्य मामलों का समाधान करना व इलाके में शांति वापस लाना है।’
समझौते के लिए हलफनामा
राष्ट्रीय जाट संरक्षण समिति के अध्यक्ष विपिन बलियान ने बताया, ‘पहले चरण में चार गांवों- पुरबलियान, कुत्बा कुत्बी, करारा और हदोली, जहां 2013 में कई बेगुनाहों की जान गई थी। उनके परिजन कानूनी परामर्श के बाद कोर्ट में समझौते के लिए हलफनामा पेश करेंगे।’ बलियान ने आगे कहा, ‘कमिटी में दोनों समुदायों को मिलाकर हम 15 लोग हैं जिसमें दो पूर्व सरकार के दो मंत्री भी है। हम कोर्ट का रुख करने से पहले कानूनी सलाह लेंगे। इस क्षेत्र के करीब 1400 लोगों पर अलग-अलग धारा के तहत केस दर्ज हुए थे।’
(साभार-एनबीटी)