गोधरा की मुश्किल सीट 258 वोटों से ऐसे जीत पाई बीजेपी

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गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे चर्चित सीटों में से एक गोधरा सीट भी रही। यहां कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले सीके रॉलजी ने कांग्रेस के राजेंद्र सिंह परमार को 258 वोटों के मामूली अंतर से शिकस्त दी। पिछले दो बार (2007 और 2012) कांग्रेस की ओर से सीके रॉलजी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।ऐसे में इस बार कांग्रेस को शिकस्त देने के लिए बीजेपी ने खास रणनीति बनाई। कांग्रेस को चौंकाते हुए रॉलजी को बीजेपी ने टिकट दिया और फिर सारा सियासी खेल ही बदल गया। गोधरा में पांच मुस्लिम कैंडिटेट भी मैदान में थे, इससे बीजेपी को फायदा ही हुआ।

मुस्लिम प्रत्याशियों ने बदली तस्वीर

गोधरा में सीके रॉलजी और राजेंद्र सिंह परमार के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। रॉलजी को बीजेपी के वोटरों पर भरोसा था तो परमार को 23 फीसदी मुस्लिम और ओबीसी वोटरों पर। हालांकि सारा खेल बिगाड़ दिया पांच मुस्लिम प्रत्याशियों ने। मुख्तार अंसारी, एम दीवान, इनायत खान पठान, वसीम बाना और जुबेर उमरजी ने मिलकर 4331 वोट निकाल लिए।

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इससे रॉलजी 258 वोटों के मामूली अंतर से जीतने में कामयाब रहे। गोधरा सीट पर बीजेपी को पार्टी के बागी उम्मीदवार जसवंत सिंह से भी जूझना पड़ा। जसवंत सिंह 18,856 वोट पाने में कामयाब रहे। यदि जसवंत सिंह मैदान में नहीं होते तो बीजेपी और अधिक अंतर से यह सीट जीतती।

पंचमहल में भी कुछ ऐसा ही हुआ था

यह पहली बार नहीं हुआ है कि मुस्लिम प्रत्याशियों ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ा हो। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी पंचमहल सीट पर शक्ति सिंह वाघेला 2081 वोटों से चुनाव हार गए थे। लोक जनशक्ति पार्टी के कलीम अब्दुल लतीफ शेख को 23,615 वोट मिले थे। साथ ही कम चर्चित अखिल भारतीय मानव सेवा दल के मुख्तार अंसारी को 10,328 वोट मिले। इससे पंचमहल सीट पर सियासी तस्वीर पूरी तरह बदल गई और वाघेला को हार का सामना करना पड़ा। इस बार विधानसभा चुनाव में करीब 35 सीटें ऐसी थीं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक हो सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। जिन सीटों पर मुस्लिम वोटर 15 फीसदी से अधिक थे, वहां 17-17 सीटें बीजेपी और कांग्रेस को मिली। एक सीट कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार जिग्नेश मेवाणी के हिस्से में आया। दलित नेता जिग्नेश ने वडगाम सीट से जीत हासिल की।

बीजेपी को मुस्लिम प्रत्याशियों पर भरोसा नहीं

इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छह मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए थे, वहीं बीजेपी ने एक भी मुस्लिम को मैदान में नहीं उतारा था। कांग्रेस के छह में से चार ने जीत का स्वाद चखा। 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली थी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चार उम्मीदवारों को टिकट दिया था और उनमें से दो की जीत हुई थी। तब गयासुद्दीन शेख अहदाबाद के दरियापुर से और पीरजदा राजकोट की वानकानेर सीट से विधायक चुने गए थे। 2017 में फिर से यह दोनों उम्मीदवार अपनी सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे। इनके अलावा डासडा से नौशादजी और जमालपुर खाड़िया से इमरान युसुफ ने जीत दर्ज की।

(साभार-एनबीटी)

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