टीचर से बना सिपाही, फिर भी पढ़ाने का जज्बा बरकरार
फरीदाबाद सीपी ऑफिस में आरटीआई सेल के इंचार्ज एएसआई राजकुमार 1992 में मास्टरी की नौकरी छोड़ पुलिस में भर्ती हुए, लेकिन उन्हें पढ़ने-पढ़ाने का ऐसा जुनून कि आज भी अपने सहकर्मियों को सरल हिंदी का ज्ञान दे रहे है। चाहें वह कितने ही व्यस्त क्यों न हो अपने इस शौक के लिए समय निकाल ही लेते हैं। हिंदी को सरल रूप में प्रस्तुत करने के अलावा उत्कृष्ट सेवाओं के लिए रामकुमार को 26 जनवरी 2015 को राष्ट्रपति द्वारा पुलिस पदक मेडल से भी नवाजा चुका है।
शौक को दिया नया आयाम
राजकुमार को हमेशा से यह शौक था कि खूब पढूं और दूसरों को पढ़ाऊं। इसी के चलते वे आज प्रदेश के पुलिसकर्मियों को समय-समय पर हिंदी के सरल स्वरूप (देवनागरी लिपि और हिंदी वर्तनी का मानकीकरण) का ज्ञान बांट कर रहे हैं। अपने अध्ययन के बदौलत उन्होंने ‘अब हिंदी बेहद आसान’ शीर्षक से पुस्तक लेखन को अंतिम रूप दे रहे हैं।
6 घंटे हिंदी के लिए
एएसआई रामकुमार की ड्यूटी सुबह 10 से शाम पांच बजे की है। लेकिन उनका कहना है कि पुलिस की नौकरी में कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होता। इसके बावजूद वे नित्य छह घंटे उन लोगों को हिंदी पढ़ाने, समझाने और सरल रूप में लेखन सिखाने के लिए निकालते हैं, जो हिंदी व्याकरण शब्दकोष में बेहद कमजोर हैं।
‘अब हिंदी बेहद आसान’
राजकुमार ने ‘अब हिंदी बेहद आसान’ शीर्षक से अपनी 200 पेज की किताब में हिंदी व्याकरण और वर्तनी के सरल स्वरूप को ही रेखांकित किया है। उनका दावा है कि इस किताब को पढ़ने के बाद किसी को हिंदी लिखने, बोलने और समझने में कभी किसी तरह की दिक्कत नहीं रहेगी। पुलिस के कामकाज में नित्य 2500 ऐसे शब्द प्रयोग किए जाते हैं, जो लिखने में बेहद कठिन हैं। यह पुस्तक आठ साल से लिख रहे हैं। बहुत जल्द यह प्रकाशित होकर हरियाणा पुलिस के सभी विभागों में मौजूद होगी।
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