चाबहार बंदरगाह की शुरूवात के चलते, भारत को नई सफलता, जानिए क्यूं ?

0

इंडिया के लिए सामरिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ईरान के चाबहार बंदरगाह (Chabahar port) एक हिस्सा आज (रविवार) काम करना शुरू कर देगा। ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी इसका उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर भारत, ईरान और अफगानिस्तान सहित कई देशों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को रूस से लौटते वक्त तेहरान पहुंचकर इस परियोजना की समीक्षा की।

Also Read:  पीएम मोदी से कोई कॉम्पिटीशन नहीं: मनमोहन सिंह

 

दोनों देशों ने आपसी हितों पर की चर्चा

सुषमा स्वराज ने दोपहर के भोजन के दौरान आपसी हितों के मुद्दे पर अपने ईरानी समकक्ष डॉ. जावेद जरीफ से वार्ता की। इस दौरान चाबहार परियोजना की भी समीक्षा गई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर बताया, अपने पारंपरिक करीबी और सभ्यतागत जुड़ावों को मजबूत करते हुए स्वराज ने जरीफ के साथ तेहरान में दोपहर के भोजन के दौरान वार्ता की। दोनों पक्षों ने आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की। दोनों मंत्रियों ने चाबहार बंदरगाह परियोजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की, जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार है। एक महीने पहले भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के जरिये समुद्र से अफगानिस्तन को गेहूं की पहली खेप भेजी थी। इसे पाकिस्तान को दरकिनार कर तीनों देशों के बीच महत्वपूर्ण रणनीतिक मार्ग के संचालन का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिति और राजनीतिक घटनाक्रमों पर भी चर्चा की।

 

Also Read:  आज से शुरू पीएम मोदी की तूफानी रैलियां

 

भारत के लिए चाहबार बंदरगाह के काफी मायने

वहीं, विदेशमंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, यह तकनीकी ठहराव था और स्वराज का अपने ईरानी समकक्ष से बातचीत पूर्व निर्धारित नहीं थी। रिपोर्ट के अनुसार भारत ने चाबहार में करीब 10 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। इसके साथ ही 50 करोड़ डॉलर की और मदद का आश्वासन दिया है। इस परियोजना के पूरा होने से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच सीधा संपर्क हो जाएगा। साथ ही भारत मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप तक सामान भेज सकता है। अब तक भारतीय माल पाकिस्तान के जरिये अफगानिस्तान तक पहुंचता है। चाबहार के खुलने से भारतीय माल को अब पाकिस्तान के रास्ते की बजाए सीधे मध्य एशिया और यूरोप भेजा जा सकेगा। ऐसे में यह पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा रणनीतिक नुकसान होगा।

 

Also Read:  इतिहास के पन्नों में 3 दिसंबर

 

स्वराज ने तेहरान में चाबहार परियोजना की समीक्षा करी

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज रूस के सोची में आयोजित शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ)की बैठक से लौटते वक्त शनिवार को तेहरान में रूकीं। यहां पर उन्होंने दोपहर के भोजन के दौरान आपसी हितों के मुद्दे पर अपने ईरानी समकक्ष डॉ.जावेद जरीफ से वार्ता की। इस दौरान चाबहार परियोजना की भी समीक्षा गई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर बताया, अपने पारंपरिक करीबी और सभ्यतागत जुड़ावों को मजबूत करते हुए स्वराज ने जरीफ के साथ तेहरान में दोपहर के भोजन के दौरान वार्ता की। दोनों पक्षों ने आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की। जानकारी के मुताबिक दोनों मंत्रियों ने चाबहार बंदरगाह परियोजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की, जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार है।

Also Read:  धोनी के कश्मीर मैच के दौरान पाकिस्तान और आतंकवाद समर्थक लगे नारे

 

भारत ईरान का महत्वपूर्ण कदम

एक महीने पहले भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के जरिए समुद्र से अफगानिस्तान को गेहूं की पहली खेप भेजी थी। इसे पाकिस्तान को दरकिनार कर तीनों देशों के बीच महत्वपूर्ण रणनीतिक मार्ग के संचालन का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिति और राजनीतिक घटनाक्रमों पर भी चर्चा की। वहीं, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, यह तकनीकी ठहराव था और स्वराज का अपने ईरानी समकक्ष से बातचीत पूर्व निर्धारित नहीं थी।

साभार: (हिन्दुस्तान live.com)

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More