भारत में सड़क दुर्घटना में रोज मरते हैं 400 लोग

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आए दिन अखबार और टीवी में सड़क हादसे की खबरों के हम शायद इतने आदी हो चुके हैं कि हमें कोई फर्क ही नहीं पड़ता, जब तक कोई अपना ऐसे हादसे का शिकार न हो जाए। लेकिन केंद्र सरकार के परिवहन विभाग ने जो रिपोर्ट जारी की है, वो इतनी भयानक तस्वीर पेश करती है कि उसे पढ़कर आपका दिल दहल जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर रोज करीब 1374 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें 400 लोग मारे जाते हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ‘भारत में सड़क दुर्घटना -2015’ नाम से जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है।

बिगड़ती जा रही है स्थिति

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है कि दुनिया में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं। दुनिया में सड़क हादसों के मामले में हमारी हालत कितनी बुरी है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि 2015 में भारत में पांच लाख से ज्यादा सड़क हादसे हुए। वहीं स्वीडन में पिछले साल भर में सिर्फ एक सड़क हादसा हुआ। 2014 के बजाय 2015 में सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या 4.6 फीसदी बढ़ गई।

गाड़ी चालक जिम्मेदार

रिपोर्ट के मुताबिक 100 में से 77 सड़क हादसों में गाड़ी चलाने वाले की ही गलती होती है। और उसमें भी सबसे ज्यादा हादसे ओवर स्पीडिंग से हुई। लेकिन खुद गडकरी ने कहा कि गाड़ी चलाने वालों पर गलती मढ़ देना सबसे आसान है। उनके मुताबिक बहुत सी जगहें ऐसी हैं जहां एक ही जगह पर लगातार हादसे होते रहते हैं और सड़क की डिजाइन में खामी इसकी बड़ी वजह है।

मुंबई में सबसे अधिक हादसे

2015 में सबसे ज्यादा सड़क हादसे तो मुंबई में हुए लेकिन सबसे ज्यादा लोगों ने दिल्ली की सड़कों पर जान गवाईं। दिल्ली की चौड़ी, चमकदार दिखने वाली सड़कें 1622 लोगों की जिंदगी निगल गई। राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश की सड़के सबसे खतरनाक हैं जहां पिछले साल 17,666 लोगों की जानें सड़क हादसों की भेंट चढ़ गई।

फर्जी लाइसेंस भी जिम्मेदार

फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस भी सड़क हादसे की एक बड़ी वजह है। एक बड़ा कारण ये भी सामने आया है कि देश की कुछ सड़कों पर ही जरूरत से ज्यादा ट्रैफिक का बोझ है। देश की सिर्फ 2 प्रतिशत सड़कें ऐसी हैं जिन पर 40 फीसदी ट्रैफिक का बोझ है। रिपोर्ट में ओवरलोड वाहनों को भी सड़क दुर्घटना की वजह बताते हुए कहा गया है कि पिछले वर्ष इस कारण 77 हजार से अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं जिनमें 25 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

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