अब महाकाल पर आधा लीटर से अधिक नहीं चढ़ेगा जल
आज से महाकाल की आरती को कपड़े से ढक के की गई । महाकाल को नहलाने के लिए लोहे की बाल्टी के स्थान पर प्लास्टिक की बाल्टी का प्रयोग किया जायेगा ये आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिये थे। कोर्ट के इस आदेश के बाद आज महाकाल की भस्मारती कपड़े से ढक के हुई। इतना ही नहीं इस दौरान कई बातो का भी खास ख्याल रखा गया।
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कोर्ट के आदेश के अनुसार अभिषेक के वक्त आरओ के पानी का इस्तेमाल किया गया। आपको बता दें कि शिवलिंग का आकार छोटा (क्षरण) होने से बचाने के लिए एक्सपर्ट कमेटी के 8 सुझावों को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी है। कोर्ट ने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और याचिकाकर्ता 15 दिन के अंदर इस पर अपने सुझाव या आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं। अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी।
पूजा के वक्त आरओ के जल का इस्तेमाल किया गया
नई व्यवस्था को अमल में लाने के लिए महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने पुजारियों के लिए आदेश जारी कर दिए थे। मंदिर समिति के मेंबर प्रदीप पुजारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भस्मारती में बदलाव किया गया है। शनिवार सुबह पूजा के वक्त आरओ के जल का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, शिवलिंग को कपड़े से ढंककर भस्म चढ़ाई गई। पहले सिर्फ श्रृंगार वाला हिस्सा ढंका जाता था। उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही सारी व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
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पहली बार सुप्रीम कोर्ट मामला पहुंचा
महाकाल के शिवलिंग का आकार (क्षरण) के छोटे होने की बात पहले भी सामने आती रही है। इसके लिए पहले भी मंदिर समिति की तरफ से कोशिशें होती रहीं। पहली बार सुप्रीम कोर्ट मामला पहुंचा। कोर्ट ने कमेटी बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट में पहली बार इस बात की पुष्टि हुई है कि नुकसान हो रहा है। उज्जैन की सारिका गुरु ने याचिका लगाई। जस्टिस अरुण मिश्रा और एल नागेश्वर राव की बेंच ने सुनवाई की।एक्सपर्ट कमेटी ने रिपोर्ट में माना कि दूध, दही, घी, शहद, शकर और फूलमाला भी शिवलिंग के क्षरण की वजह हैं। पूजा में रासायनिक पाउडर पर पाबंदी हो, लोहे की जगह प्लास्टिक की बाल्टियां इस्तेमाल की जाएं।श्रद्धालु आधा लीटर से ज्यादा जल नहीं चढ़ाएंगे।
भस्म आरती के दौरान शिवलिंग सूखे सूती कपड़े से ढका जाएगा
अभिषेक का पानी 2016 में बनाए गए आरओ प्लांट से लिया जाएगा। इसके लिए गर्भगृह के पास कनेक्शन दिए जाएंगे। हर श्रद्धालु को 1.25 ली. दूध या पंचामृत चढ़ाने की इजाजत होगी। हर शाम 5 बजे जलाभिषेक के बाद गर्भगृह और शिवलिंग को सुखाया जाएगा। इसके बाद जलाभिषेक नहीं होगा। सूखी पूजा होगी। शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की इजाजत नहीं होगी। सिर्फ खांड इस्तेमाल की जाएगी। भस्म आरती के दौरान शिवलिंग सूखे सूती कपड़े से ढका जाएगा।
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ड्रायर और पंखे लगाए जाएंगे
अभी सिर्फ 15 दिन के लिए शिवलिंग आधा ढंका जाता था। भस्मारती में उपलों की राख का इस्तेमाल होता है। शिवलिंग को नमी से बचाने के लिए ड्रायर और पंखे लगाए जाएंगे। बेल पत्र व फूल-पत्ती केवल ऊपरी भाग में ही चढ़ेंगे। मंदिर में एक साल में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगेगा।- देश में 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालु दूध-पंचामृत से अभिषेक नहीं कर सकता। इनमें ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, मल्लिकार्जुन, केदारनाथ और सोमनाथ शामिल हैं।
श्रद्धालु दिनभर में कई बार पंचामृत चढ़ाते हैं
यहां एक तय क्वांटिटी में पुजारी ही अभिषेक कर सकता है। बाकी 5 में से 3 ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ, रामेश्वरम और नागेश्वर में रोक तो नहीं है, लेकिन क्षरण न हो इसके लिए सावधानी भी बरती जा रही है।पुजारी प्रदीप गुरु के मुताबिक, सुबह पंचामृत से अभिषेक होता है। फिर जलाभिषेक और भस्म आरती। रात तक 4 बार अभिषेक होता है। श्रद्धालु दिनभर में कई बार पंचामृत चढ़ाते हैं। भांग से श्रृंगार होता है।
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