योगी राज में महफूज नहीं हैं बहु-बेटियां
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद से अब तक महिलाओं पर होने वाले अपराध का ग्राफ अपने चरम पर है। सरकार का पहला दावा था कि वे प्रदेश की महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करेंगे। लेकिन ये प्रदेश सरकार का नंगा सच है कि बलात्कारी हमारे घर आंगन से बहु बेटियों के बाल पकड़ कर खींच ले जाते हैं और पुलिस प्रशासन मात्र मूक दर्शक बनी देखती रहती है। चाहे वो घर हो या शिक्षा का मंदिर सड़क हो या प्रदेश।
प्रदेश सरकार की तस्वीर बहुत बदसूरत हो चुकी है
सरकार के खोखले दावों पर कब तक प्रदेश की बहू बेटियां अपनी इज्जत और आबरु को खोती रहेंगी। सीएम योगी का दावा था कि हमारी बहु बेटियां सड़कों पर निडर होकर कही आ जा सकती हैं। जबकि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद से महिला सुरक्षा के मामले में प्रदेश सरकार की तस्वीर बहुत बदसूरत हो चुकी है। सीएम बनने के बाद से महिलाओं पर होने वाले अपराधिक मामलों में इस कदर इजाफा हुआ है कि किसी भी सरकार में नहीं हुआ होगा।
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पहला मामला बागपत जिले का है जहां
वैसे तो योगी सरकार के राज में महिलाओं पर हुए आपराधिक मामलों की फेहरिस्त बहुत लम्बी है। तो आइये आज जर्नलिस्ट कैफे आपको बतायेगा की प्रदेश सरकार में महिलाओं पर हुए अपराधिक मामलें क्या कहते हैं ?… पहला मामला बागपत जिले का है जहां पर छात्रा ने अपनी जान दे दी… जहां बदमाशों ने एक छात्रा को न सिर्फ अगवा किया बल्कि उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। बलात्कार करने के बाद बदमाश छात्रा को घर के बाहर फेंक गये। हद तो तब हो गयी जब बदमाशों के हौसले दोबारा बुलंद हो गये और छात्रा को दोबारा बलात्कार करने की धमकी देने लगे। अपनी अस्मिता के साथ एक बार हो चुके खिलवाड़ के बाद दोबारा बदमाशों की धमकी सुनकर उस छात्रा की रुह कांप गई, और खुद को मौत के गले लगाना ही सबसे आसान समझा।
गुहार लगाकर गरिमा और उसका परिवार थक चुका था
आपको बता दें कि इस मासूम का ये बयान 4 महीने पुराना है क्योंकि अब ये मासूम इस दुनिया मे नहीं है और सिर्फ एक तस्वीर में सिमट कर रह गई है। आपको बता दे इस मासूम का नाम गरिमा है गरिमा अब इस दुनिया मे नही रही इसके मौत के गुनहगार है सीएम योगी आदित्यनाथ की ख़ाकी धारी पुलिस जिनके आगे गुहार लगाकर गरिमा और उसका परिवार थक चुका था लेकिन कोई सुनवाई नही हुई ,दरअसल थाना रमाला क्षेत्र के किरठल गांव की रहने वाली गरिमा 9वीं की छात्रा थी लेकिन उसने स्कूल जाना बंद कर रखा था वजह थी गांव के पांच दबंग युवक जो आये दिन गरिमा के साथ छेड़छाड़ करते थे।
मामला भी दर्ज हुआ और मेडिकल भी हुआ
इतना ही नही चार महीने पहले इन्ही पांचो ने मिलकर गरिमा को गांव से अपहरण कर लिया था और उसके साथ गैंगरेप किया और फिर उसे गांव के बाहर फेंक दिया,परिजनों ने थाने में शिकायत की मामला भी दर्ज हुआ और मेडिकल भी हुआ न्याय प्रक्रिया के तहत 164 के बयान भी हुए लेकिन पुलिस का खेल देखिए दबंगो के रसूख के चलते पुलिस ने मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी और केस बन्द कर दिया,जिसका नतीजा ये हुआ कि दबंगो के हौसले बुलन्द हो गए और दोबारा से आए दिन गरिमा और उसके परिवार को परेशान करने लगे गरिमा के साथ छेड़छाड़ करते।
बागपत आते आते वे आश्वासन भी फेल
जिसके चलते गरिमा के परिजन और गरिमा बागपत पुलिसा अधिकारियो से लेकर लखनऊ तक अपनी गुहार लगाती रही लेकिन कोई सुनवाई नही हुई आखिर मामला सीएम दरबार तक भी पहुंचा और सीएम ने आश्वासन भी दिया लेकिन बागपत आते आते वे आश्वासन भी फेल साबित हुए,जिसका असर ये हुआ कि दबंगो ने अपनी आदतों से बाज नही आये कुछ दिन पहले गरिमा गांव की एक दुकान पर किसी काम से गई थी तभी पांचो युवको ने फिर उसके साथ छेड़छाड़ की ओर धमकी दी कि इस बार वे उसका अपहरण नही बल्कि गांव में ही उसके साथ रेप की वारदात को अंजाम देंगे जिसके बाद से गरिमा सदमे में चली गई और उसने कमरे में जाकर फाँसी लगा ली और जान दे दी।
स्कूल जाने के नाम से ही कांप जाती थी छात्रा
सरकार की नाकामी का सिलसिला यहीं नहीं थमां, शिक्षा का मदिंर जहां पर बच्चों का भविष्य बनाने का दावा किया जाता है और एक सुनहरे भविष्य के सपने दिखाए जाते हैं जब वहां पर इंसानियत कलंकित होने लगे तो उससे शर्मनाक क्या हो सकता है। दरअसल उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक स्कूल में ेक शिक्षक ही हैवान बन गया। उसने गुरू-शिष्य के रिश्ते को तार तार कर दिया। मालूम हो कि स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा के साथ शिक्षक आए दिन छेड़छाड़ कर रहा था, जब इसी शिकायत छात्रा दूसेर शिक्षकों से की तो अपने स्कूल की साख को बचाने के लिए मामले पर लीपापोती शुरू हो गई और किसी भी तरह से बात बाहर न जाए इसकी पूरी कोशिश भी कर दी गई। लेकिन शिक्षक के इस घिनौने अपराध का सिलसिला रुका नहीं और यूं ही चलता रहा। छात्रा ने परेशान होकर स्कूल जाना छोड़ दिया, जब बात घरवालों तक पहुंची तो परिवार वालों ने पूरे गांव के साथ स्कूल पहुंच गए। धीरे-धीरे मामला इतना बढ़ गया कि इसकी खबर पुलिस के कानों तक पहुंच गई, जिसके बाद प्रशासन ने मामले की जांच का हवाला देकर मामले को शांत कराने की भरपूर कोशिश की।
एंटी रोमियों भी रहा नाकाम
योगी सरकार सत्ता में आने से पहले एलान किया था कि जिस दिन उनकी पार्टी सत्ता में आई उसी दिन महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और शोषण पर लगाम लगाने के लिए एंटी रोमियो का गठन किया जाएगा, सत्ता में आते ही योगी ने एंटी रोमियो का गठन भी कर दिया। करीब एक हफ्ते तक इस दल ने मनचलों और मजनुओ की धरपकड़ ऐसे की जैसे अब सूबे में कोई भी लड़की किसी शोहदे का शिकार नहीं होगी। लेकिन बदनसीबी इतनी जल्दी कहां किसी का साथ छोड़ती है वही प्रदेश की लड़कियों और महिलाओं के साथ भी हुआ।
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जांच का आश्वासन देकर मामले को एएसपी को सौंप दिया
क्योंकि एंटी रोमियो दल तो बन गया लेकिन ज्यादा दिनों तक परवान नहीं चढ़ सका और छात्राओं-महिलाओं के साथ हो रही छेड़छाड़ फिर उसी रफ्तार से दौड़ने लगी। सूबे के बहराइच जिले में एक 16 साल की छात्रा को स्कूल जाते वक्त समाज के उन घिनौने चेहरों का सामना करना पढ़ता था जो इस समाज के नाम पर धब्बा थे। रोज-रोज की कमेंटबाजी और छेड़छाड़ से परेशान होकर छात्रा ने स्कूल जाना छोड़ दिया। मामला इतना बढ़ गया कि परिवार वालों ने एसपी से गुहार लगाई, एसपी ने जांच का आश्वासन देकर मामले को एएसपी को सौंप दिया। मामले को संज्ञान में लेते हुए अपर पुलिस अधीक्षक ने शोहदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दे दिए लेकिन मामला जब संबंधित थाने में पहुंचा तो कांस्टेबल से लेकर थानेदार ने पैसा खाकर शोहदों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
आइए आपको बताते हैं योगी के राज में क्राइम का ग्राफ क्या कहता है?
लखनऊ में पिछले महीने यानी की सितंबर-अक्टूबर की बात करें तो आगरा में 345 रेप के हत्या के 353 मामलें सामने आये हैं। जबकि इलाहाबाद 134 मामले हत्या और 191 बलात्कार के सामने आये है। इतना ही नहीं बरेली में हत्या के 261 मामलें और रेप के 565 मामले देखने को मिले। जबकि गोरखपुर में 145 हत्याएं और 314 बलात्कार हुए। कानपुर में 195 हत्या और 153 मामले रेप के थे। जबकि राजधानी लखनऊ में 307 हत्याएं और 417 बलात्कार के मामले सामने आये। तो मेरठ में 317 हत्याएं हुई और 404 रेप के मामले दर्ज किये गये। जबकि वाराणसी में 127 मामले हत्या के और 181 मामलें बलात्कार के दर्ज किये गये।
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