30 साल से लोकसभा चुनाव नहीं जीते जेटली’..जुबानी जंग

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यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली के बीच लगातार एक दूसरे पर तंज कसने का सिलसिला लगातार जारी हैं। दोनो के बीच चल रहीं इस रस्सा कसी में भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा भी यशवंत का साथ देते हुए इस जुबानी जंग शामिल हो गये हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने यशवंत सिन्हा को समर्थन देने के एक बाद पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सही समय है कि पीएम को आगे आकर लोगों का सामना करना चाहिए और अर्थव्यवस्था से जुड़े वास्तविक सवालों के जवाब देने चाहिए।

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बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी…

शत्रुघ्न ने सिलसिलेवार ढंग से कई टवीट्स किए, जिसमें एक ट्वीट में उन्होंने शायर जगजीत सिंह के शब्दों में कहा, ‘बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी।’ उन्होंने कहा कि पीएम को वास्तविक संवाददाता सम्मेलन में सवालों के जवाब देने चाहिए। उनको कम से कम एक बार यह दिखाना चाहिए कि वह मध्यवर्गीय लोगों, निर्यातकों, छोटे व्यापारियों, पूरे देश खासकर गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वहां के लोगों की चिंता करते हैं।सिन्हा ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति पर यशवंत सिन्हा के अवलोकन का मैं और मेरे जैसे सोचने वाले अन्य नेता मजबूती से समर्थन करते हैं।

कार्यकर्ताओं के बड़े धड़े से राष्ट्रहित के मुद्दे पर समर्थन मिलेगा

पार्टी और पार्टी से बाहर के लोगों ने भी उनके विचारों का पूरा समर्थन किया है। आने वाले दिनों में हमें नेताओं और कार्यकर्ताओं के बड़े धड़े से राष्ट्रहित के मुद्दे पर समर्थन मिलेगा। इस मामले को यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली के बीच नहीं मिलाना चाहिए। इस मामले में इसी तरह का प्रयास किया जा रहा है। शत्रुघ्न ने आखिर में यह ट्वीट किया, ‘बीजेपी/एनएडीए जिंदाबाद, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात और जय हिंद।

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मैंने मंत्री का पद त्याग दिया, आईएएस का पद छोड़ दिया…

’पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 30 साल से लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाए हैं। वह 30 साल बाद भी एक अदद लोकसभा सीट की तलाश में हैं। जिन्होंने लोकसभा की शक्ल नहीं देखी, वह मुझ पर नौकरी मांगने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘जेटली मेरा इतिहास नहीं जानते। 1989 में जब वी. पी. सिंह देश के पीएम थे तो उन्होंने मुझे मंत्रिपद की शपथ लेने राष्ट्रपति भवन बुलाया था, लेकिन मैं बिना शपथ लिए वापस आ गया क्योंकि मुझे लगा कि वह मेरे साथ इंसाफ नहीं कर रहे हैं। मैंने मंत्री का पद त्याग दिया, आईएएस का पद छोड़ दिया।

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2014 में मैंने खुद चुनावी राजनीति से हटने का फैसला लिया था

राजनीति में दर-दर की ठोकरें खाई। आईएएस की नौकरी छोड़ने के 15 दिनों के भीतर ही मैंने अपने लिए संसदीय क्षेत्र का चुनाव कर लिया था। यशवंत यह भूल गए हैं कि जब मैंने आईएएस की नौकरी छोड़ी तो मेरी 12 साल की नौकरी बाकी थी।’ यशवंत ने कहा कि आईएएस की नौकरी और राज्य मंत्री जैसे पद का त्याग करने वाले व्यक्ति पर वह नौकरी मांगने का आरोप लगा रहे हैं। जेटली ने वाजपेयी सरकार में बिना चुनाव लड़े ही राज्य मंत्री का पद लिया था। सिन्हा ने कहा, ‘जेटली जी से आप खुद पूछ सकते हैं कि 2014 में मैंने खुद चुनावी राजनीति से हटने का फैसला लिया था।

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उन लोगों पर आज तक क्या कार्रवाई हुई है..

सिन्हा ने कहा कि जेटली आज की नौजवान पीढ़ी से जाकर पूछें कि क्या उन्हें नौकरी मिल रही है/ मुझे नहीं पता कि जेटली के पास कितने लोग नौकरी मांगने के लिए आते हैं। वह कभी लोकसभा में रहे ही नहीं तो उन्हें इस बारे में पता नहीं होगा।’जेटली की ओर से नोटबंदी का विरोध करने वालों को ब्लैक मनी का समर्थक बताए जाने पर सिन्हा ने कहा, ‘एचएसबीसी ने 740 लोगों की लिस्ट जारी की थी, उन लोगों पर आज तक क्या कार्रवाई हुई है।

जेटली के इस्तीफे का सवाल मोदी से पूछा जाना चाहिए

पनामा पर भारत में कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।’यशवंत सिन्हा ने तंज कसते हुए कहा कि मेरी दोस्ती चिदंबरम से न कभी थी और न है। अरुण जेटली चिदंबरम के करीबी मित्र रहे हैं। लोकसभा का सदस्य ही समझ सकता है कि किसी संसदीय क्षेत्र में 15 से 16 लाख लोगों की चिंता कैसे की जा सकती है। जेटली के इस्तीफे का सवाल मोदी से पूछा जाना चाहिए।

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