अर्थव्यवस्था के गिरने में नोटबंदी , जीएसटी का बड़ा हाथ : सिन्हा
अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर लगातार अपनी ही पार्टी को घेरे में लेते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की समस्या को सुलझाने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की ‘गड़बड़ी’ के लिए विपक्षी कांग्रेस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
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आलोचना को कई टीवी चैनल पर सही ठहराया…
सिन्हा ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब एक दिन पहले ही अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपे उनके लेख से राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। उन्होंने गुरुवार को अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी पार्टी की आलोचना को कई टीवी चैनल पर सही ठहराया।
सरकार बने 40 महीने गुजर चुके हैं…
सिन्हा ने एक समाचार चैनल से कहा, “सरकार को पहला गंभीर कार्य एनपीए मुद्दे को सुलझाने का करना चाहिए जिसने बैंकिंग सेक्टर को संकट में डालकर अर्थव्यवस्था की गति को रोक दिया है। सरकार बने 40 महीने गुजर चुके हैं और खराब ऋण संकट के खत्म होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।
नोटबंदी व जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को पीछे धकेलने में बड़ी भूमिका निभाई है…
उन्होंने कहा कि सरकार नोटबंदी के प्रभाव का अनुमान लगाने में असफल रही। इसलिए अर्थव्यवस्था काफी समय से बुरे दौर में है। और, इसके फौरन बाद जीएसटी के रूप में एक बड़ा झटका दिया गया। इन दोनों (नोटबंदी व जीएसटी) ने अर्थव्यवस्था को पीछे धकेलने में बड़ी भूमिका निभाई है।
जीएसटी के अतिरिक्त बोझ को लाद दिया गया…
सिन्हा ने कहा, “मैं सिर्फ एक तिमाही के आधार पर अर्थव्यवस्था को नहीं आंक रहा हूं। अर्थव्यवस्था पिछले छह तिमाही से गिर रही है। मुझे आशा है कि सरकार अब जागेगी और अर्थव्यवस्था नई रफ्तार पकड़ेगी।उन्होंने कहा कि सरकार नोटबंदी और जीएसटी के प्रभावों का विस्तृत आंकलन करने में विफल रही है सिन्हा ने कहा कि सरकार को नोटबंदी और जीएसटी का पूरे अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करना चाहिए था।
अर्थव्यवस्था नोटबंदी के दौर से उबरी ही नहीं थी कि उसके बाद जीएसटी के अतिरिक्त बोझ को लाद दिया गया। नकदीरहित अर्थव्यवस्था के विचार को सही ठहराते हुए सिन्हा ने कहा कि लेकिन इसे हासिल करने के लिए अचानक नोटबंदी को थोपा जाना गलत था।
उन्होंने कहा, “यहां तक की विकसित देश भी अपनी अर्थव्यवस्था में 40 प्रतिशत नकदी का प्रयोग करते हैं। भारत एक विकासशील देश है, जहां कृषि अर्थव्यवस्था एक नकदी आधारित सेक्टर है। इससे कई लोगों को रोजगार मिलता है। अगर आप अचानक नकदी रहित प्रणाली थोपेंगे तो लोगों में घबराहट पैदा होगी।
सिन्हा ने कहा कि गिरती हुई अर्थव्यवस्था कभी भी रोजगार नहीं दे सकती।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था ऐसी चीज नहीं है जिसका निर्माण एक रात में हो जाए और न ही किसी के पास जादू की छड़ी है। हमें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में चार वर्षों को समय लगा था।सिन्हा ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए सप्रंग सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं।
उन्होंने कहा, “अर्थव्यवस्था में लगातार सुस्ती आ रही थी, लेकिन मैं कुछ नहीं बोल रहा था। हम पूर्ववर्ती सरकार को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते क्योंकि हम पिछले 40 महीने से सत्ता में हैं और इन्हें सही करने के लिए हमें पूरा अवसर मिला।सिन्हा ने कहा कि मैं जीएसटी का समर्थक रहा हूं लेकिन सरकार इसे जुलाई में लागू करने के लिए बहुत जल्दबाजी में थी।
लोचनाओं का जवाब देने के लिए सक्षम हैं तो उन्हें क्यों वित्त मंत्रालय से हटाया गया
यह पूछे जाने पर कि सरकार की तरफ से गृहमंत्री राजनाथ सिंह और पीयूष गोयल अर्थव्यवस्था का बचाव कर रहें हैं। इस पर उन्होंने कहा, “लगता है राजनाथ सिह और पीयूष गोयल मुझसे ज्यादा अर्थव्यवस्था जानते हैं। अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में छपे उनके बेटे और केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के लेख पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “अगर वह मेरी आलोचनाओं का जवाब देने के लिए सक्षम हैं तो उन्हें क्यों वित्त मंत्रालय से हटाया गया।
यह पूछे जाने पर कि वह अपने विचारों को पार्टी में क्यों नहीं उठाते, उन्होंने कहा, “पार्टी के अंदर कोई जगह उपलब्ध नहीं है। वास्तव में, मैंने प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए एक साल पहले ही समय मांगा था और अब तक उन्होंने मुझे समय नहीं दिया।
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