‘स्टार्टअप इंडिया’ की चुनौतियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘स्टार्टअप इंडिया’ योजना के पीछे सरकार के इरादे की सराहना करनी होगी। सरकार ने इसे सफल बनाने के लिए कई अनूठी घोषणाएं की हैं। लेकिन कुछ चुनौतियां इन घोषणाओं पर भारी पड़ सकती हैं। नए व्यापारियों के कई चुनौतियां सामने आएंगी जिसको लेकर उन्हें दो-चार होना पड़ेगा।
परमिट राज: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्टार्टअप’ के लिए लाइसेंस परमिट राज को खत्म करने की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन भारत में सरकारी कार्यालयों में फाइलें पास कराना इतना आसान नहीं होता।
भ्रष्टाचार: पीएम मोदी के एक्शन प्लान में इस बात का जिक्र है कि ‘स्टार्टअप’ के लाभ पर तीन साल तक कोई निगरानी नहीं रखी जाएगी और न ही किसी तरह की आधिकारिक जांच होगी। ऐसे में यह आशंका है कि व्यापारियों को फाइलें पास कराने के बदले अपने मुनाफे का एक हिस्सा सरकारी दफ्तर के घूसखोरों को देने का वादा करना पड़े।
टैक्स ढांचा: स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिए कि स्टार्टअप के लिए टैक्स ढांचा अलग हो सकता है। पहले से ही देश में करों को सरल बनाने के लिए लाए जाने वाले जीएसटी विधेयक को लेकर सियासी गतिरोध जारी है। ऐसे में ये कहना मुश्किल ही होगी कि सरकार ‘स्टार्टअप’ के लिए अलग से कानूनी ढांचा प्रस्तुत कर पाएगी।
फंड की कमी: पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में विचार की कोई कमी नहीं है और हम युवाओं की क्षमता का पूरा इस्तेमाल करेंगे। हालांकि, इस दिशा में फंड की कमी बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। क्या सरकार द्वारा दिए जा रहे फंड से देश की इतनी बड़ी युवा आबादी की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा?
रोजगार: पीएम ने ‘स्टार्टअप’ इंडिया कार्यक्रम का एक्शन प्लान सामने रखते हुए कहा कि देश के युवाओं को जॉब सीकर की मानसिकता से निकालकर जॉब क्रिएटर बनाने पर फोकस होगा। लेकिन भारत की शैक्षिक व्यवस्था और रोजगार तक पहुंचने के साधनों में इसके लिए बड़े बदलाव की जरूरत होगी और ये बात इतनी जल्दी कर पाना संभव नहीं दिख रहा।
कौशल विकास: तकनीक के अलावा स्किल डवलपमेंट पर भी खास फोकस रखना होगा। अब तक सीधे तौर पर चल रही भारतीय व्यवस्था में तकनीकी आधारित कई स्टार्टअप पहले ही काम कर रहे हैं। लेकिन जमीनी तौर पर काम करने वाले स्टार्टअप्स जैसे कृषि, जैव तकनीकी और अन्य के लिए युवाओं का स्किल डिवेलपमेंट करना होगा।