डॉक्टर ने की लापरवाही, मौत मांग रहा ‘साहित्यकार’

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कहा गया है कि डॉक्टर जिंदगी को मौत से भी उधार ले लेते हैं लेकिन अब ऐसा ज़ज्बा कम ही डॉक्टरों में देखने को मिलता है। यूपी की राजधानी लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (सजीपीजीआई) में 23 साल पहले डॉक्टरों की लापरवाही ने एक साहित्यकार को इच्छा मृत्यु मांगने पर मजबूर कर दिया है।

23 साल पहले कमर और पैरों में तकलीफ होने पर अस्पताल पहुंचे इस साहित्यकार शिवशंकर का डॉक्टरों ने ऐसा इलाज किया कि वह जीवन भर बैसाखी के सहारे  चलने के लिए मजबूर हो गए। आज शिवशंकर सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं। भयंकर तकलीफ से जूझ रहे शिवशंकर केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पुत्र ही नहीं बल्कि हिन्दी साहित्य में विशेष योगदान देने पर हिन्दी साहित्य सम्मान पाने वाले साहित्यकार भी है।

20 साल से बिस्तर पर लेटे हैं शिवशंकर

शहर के पी रोड इलाके में रहने वाले शिवशंकर पीजीआई आये तो इलाज करवाने, लेकिन डॉक्टर के दो साल तक चले लापरवाही भरे इलाज ने उन्हें अपाहिज बना दिया। इसके बाद जब उन्होंने काफी जगह इलाज कराया लेकिन दो साल चले उस गलत इलाज ने उनके पैरो की ताकत को पूरी तरह से छीन लिया है। और यही वजह है की शिवशंकर पिछले दो दशकों से बिस्तर पर लेटे हुए हैं।

सरकार ने भी किया निराश

देश की आजादी के लिए लड़ने वाले कानपुर के सिद्धेश्वर कटियार के पुत्र शिव शंकर जिन्हें पहले तो एक डॉक्टर की लापरवाही ने अपने पैरों पर खड़े होने से महरूम कर दिया और फिर सरकार और उसके सिस्टम ने मौत मांगने को मजबूर कर दिया। शिवशंकर ने 2014 राज्यपाल और उत्तर प्रदेश सरकार से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की मदद नहीं की गई है।

पत्नी का मिला सहारा

जहां एक ओर पति की गंभीर बीमारी, बेरोजगारी से त्रस्त होकर कुछ महिलाएं अपने को कमजोर, अबला एवं असहाय मानते हुये आंसु बहाते रोते हुए दिखाई देती हैं, वहीं जिंदगी की जंग हार चुके साहित्यकार शिवशंकर की पत्नी सरोजनी उनका असली सहारा बनीं। उन्होंने पति के इलाज के साथ बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

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