वाराणसी. काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पीएचडी प्रवेश नियमावली के खिलाफ छात्रों का गुस्सा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. केंद्रीय कार्यालय पर गुरुवार से छात्रों का शुरू हुआ अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुक्रवार को और भी उग्र हो गया. छात्रों ने अपर परीक्षा नियंत्रक प्रो. ज्ञानप्रकाश सिंह के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए उनका पुतला फूंका. प्रदर्शनकारी छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है. उनके साथ अन्याय हो रहा है.
धक्का-मुक्की के बीच फूंका पुतला
शुक्रवार को दोपहर जब छात्रों ने प्रो. ज्ञानप्रकाश सिंह का पुतला जलाने की तैयारी शुरू की, तो बीएचयू प्रोक्टोरियल बोर्ड के जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई. बीएचयू सुरक्षाकर्मियों ने बार-बार पुतला छीनने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी छात्रों ने आखिरकार पुतला जलाने में सफल हो गए. छात्रों का आरोप है कि प्रो. ज्ञानप्रकाश सिंह पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं और छात्रों को गुमराह कर रहे हैं.
ALSO READ: सावधान ! यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में रहेगा कड़ा पहरा
छात्रों ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
प्रदर्शनकारी छात्र दिव्यांश दुबे ने कहा कि बीएचयू प्रशासन पूरी तरह भ्रष्ट हो चुका है और इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों का मानसिक उत्पीड़न करना है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को अनुचित रूप से बाधित किया है. जहां यह प्रक्रिया साल में दो बार होनी चाहिए, वहां अब इसे तीन वर्षों में एक बार किया जा रहा है.
ALSO READ: को लेकर वाराणसी में आटो और ई रिक्शा का किराया तय, 47 रूट शामिल, जानें नए रेट
छात्रों की क्या हैं मुख्य मांगें:
प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा-
1. ऑल कालिंग व्यवस्था लागू हो: 2024 में नेट पास सभी अभ्यर्थियों को पीएचडी साक्षात्कार में शामिल किया जाए.
2. सीटों का समान वितरण हो: सभी श्रेणियों के छात्रों के लिए पीएचडी सीटों का बराबर वितरण किया जाए.
3. छात्रों पर की गई कार्रवाई की जांच हो: कुलपति जैन के कार्यकाल में निलंबित और निष्कासित छात्रों के मामलों की स्वतंत्र जांच कराई जाए.
4. रिव्यू कमेटी का गठन हो: डिसिप्लिनरी एक्शन कमेटी की तर्ज पर एक रिव्यू कमेटी बनाई जाए.
पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर विवाद चल रहा है. छात्रों का कहना है कि प्रशासन उनकी बातों को सुनने की बजाय समस्या को नजरअंदाज कर रहा है.