राष्ट्रीय राजमार्गों पर बनेंगे पशु आश्रयस्थल, रूकेंगे हादसे

एनएच-334बी पर बनेगा पहला पशु आश्रयस्थल

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राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने  राष्ट्रीय राजमार्गों पर पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक नई पहल की शुरूआत की है .इसके तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पशुओं के लिए राजमार्गों पर आश्रयस्थलों का निर्माण किया जाएगा. इस परियोजना का उद्देश्य न केवल राजमार्गों पर यात्रियों को सुरक्षित माहौल प्रदान करना है, बल्कि बेसहारा पशुओं से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना भी है.

इस योजना के अंतर्गत राजमार्गों और उनके आसपास के क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं की पहचान की जाएगी और उन्हें इन आश्रयस्थलों में रखा जाएगा. इससे ये पशु सड़कों पर आने से बचेंगे और दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी. यदि कोई पशु घायल होता है तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी.

हाइवे पर हादसों को रोकने के लिए एनएचएआई का नया कदम

अब तक हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए फेंसिंग और बैरियर जैसे उपाय किए गए थे. लेकिन ये पूरी तरह प्रभावी नहीं हो सके क्योंकि या तो उनकी ऊंचाई पर्याप्त नहीं होती थी या फिर उनके रखरखाव में कमी आ जाती थी. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए एनएचएआइ ने आश्रयस्थल बनाने का निर्णय लिया है.

एनएच-334बी पर बनेगा पहला पशु आश्रयस्थल

इस परियोजना के तहत पहला आश्रयस्थल एनएच-334बी पर उत्तर प्रदेश-हरियाणा सीमा से रोहना तक के खरखोदा क्षेत्र में बनाया जाएगा. दूसरा आश्रयस्थल एनएच-148बी पर भिवानी-हांसी सेक्शन के हांसी बाईपास पर बनाया जाएगा. इसके अलावा एनएच-21 पर कीरतपुर-नेरचौक और एनएच-112 पर जोधरपुर रिंगरोड के डांगियावास से जाजीवाल सेक्शन पर भी ऐसे आश्रयस्थल बनाए जाएंगे.

हाइवे कंपनियों संग एनएचएआई का समझौता

एनएचएआइ ने इस योजना के लिए हाईवे निर्माण करने वाली कंपनियों के साथ समझौता किया है. आश्रयस्थलों के लिए जमीन एनएचएआइ की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी और निर्माण व रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार की होगी. इन आश्रयस्थलों में पशुओं के लिए फर्स्ट एड, पर्याप्त चारा, पानी और देखभाल के लिए केयरटेकर जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

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