25 साल बाद फिर जिंदा हुई महिला, जानें कैसे ?

0

फिल्म और सीरियल की कहानियों में यह अक्सर देखने को मिलता है कि कोई शख्स मरने के सालों बाद जिंदा वापस लौट आता है. लेकिन जिस कहानी का हम जिक्र करने जा रहे हैं वो न तो कोई फिल्म है और न ही कोई सीरियल…यह रियल इंसान की एक रियल स्टोरी है, जिसमें सालों के बाद कर्नाटक की साकम्मा नामक महिला लौटकर वापस आ गई हैं. आखिर यह सब कैसे संभव हो सका. आइए जानते हैं…

दरअसल, यह कहानी कर्नाटक की रहने वाली साकम्मा की है. वह मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारी से ग्रसित थीं और वह कन्नड़ के अलावा किसी और भाषा का ज्ञान भी नहीं रखती थीं. एक रोज वह अपने परिवार से बिछड़ जाती हैं, फिर अपनों की तलाश करते हुए वह भटकते – भटकते हिमाचल प्रदेश जा पहुंची. भाषा की अज्ञानता की वजह से वह उत्तर भारत से फिर कभी दक्षिण भारत कभी नहीं लौट नहीं पाईं. इसके बाद वह एक स्थान पर परित्यक्त अवस्था में मिली जहां से उन्हें मंडी जिले के सुंदरनगर के वृद्ध आश्रम भंगरोटू में लाया गया. इसके बाद उन्हें वृद्धाश्रम में रखा गया जो उनका वही घर बन गया.

इस दिन कहानी में आया नया मोड़…

साकम्मा की कहानी में 18 दिसंबर को बड़ा मोड़ तब आया जब मंडी के डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारी सभी वृद्धा आश्रमों का दौरान करने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान अधिकारी वृद्धा आश्रमों की सुविधाओं का जायजा ले रहे थे. उसी दौरान मंडी के असिस्टेट डिप्टी कमिश्नर रोहित राठौर जब भंगरोटू वृद्धा आश्रम पहुंचे तो, उन्होंने यहां पर साकम्मा को देखा. इसके बाद उन्हें मालूम पड़ा कि इस 70 वर्षीय महिला को हिंदी नहीं आती है और वह सिर्फ कर्नाटक की भाषा ही जानती है.

इसके बाद मंडी के एडीसी रोहित राठौर ने पालमपुर की एसडीएम नेत्रा मैत्ती से साकम्मा से कन्नड़ भाषा में बात करने के लिए मदद ली, क्योंकि नेत्रा कर्नाटक की रहने वाली हैं. नेत्रा ने साकम्मा से फोन पर बात की और उनके परिवार के बारे में जानकारी ली. फिर, उन्होंने मंडी में कर्नाटका के आईपीएस प्रोबेशनर रवि नंदन को भंगरोटू वृद्ध आश्रम भेजा, रवि ने साकम्मा से बातचीत का वीडियो बनाकर कर्नाटक सरकार को भेज दिया.

Also Read: ”ऐसे नेता थे, जिनका प्रभाव भी आज तक अटल है”, अटल जयंती पर पीएम मोदी ने विशेष लेख….

ऐसे संभव हो रही परिवार से मुलाकात…

मंडी प्रशासन की सतर्कता की वजह से साकम्मा को उनके परिवार से मिलवाया जाना संभव हो पाया. मंडी के डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन ने बताया कि, प्रदेश सरकार अधिकारियों और कर्नाटक सरकार के सहयोग से साकम्मा के परिवार का पता चल गया है. दरअसल, 25 साल पहले साकम्मा के परिवार ने उन्हें मरा हुआ समझकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया था. एक दुर्घटना में कर्नाटक में किसी महिला का शव मिला था, जिसे साकम्मा का शव समझकर परिवार ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया था.

साकम्मा की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए उन्हें केवल 25 साल पुरानी बातें ही याद है. वह कन्नड़ में कहती हैं कि, उनके छोटे बच्चे हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि अब उनके बच्चे बड़े हो गए हैं और माता-पिता बन चुके हैं. साकम्मा के चार बच्चे थे, जिनमें से तीन जीवित हैं. सभी की शादी हो चुकी है. कर्नाटक सरकार ने साकम्मा को वापस लाने के लिए तीन अधिकारियों को भेजा है. कर्नाटक के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के वरिष्ठ अधीक्षक बासोराव हेमजी ने मंडी प्रशासन का धन्यवाद किया और कहा कि यह एक असंभव सा काम था, जो अब मंडी प्रशासन की मदद से संभव हो पाया है.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More