राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट में देश में बाल विवाह के बढ़ते खतरे का खुलासा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2023-24 में देशभर में 11 लाख 49 हजार 23 बच्चे बाल विवाह के जोखिम में पाए गए हैं. आयोग ने इस मुद्दे पर परिवारों से बातचीत करने, स्कूल ड्रॉपआउट बच्चों को वापस स्कूल भेजने और पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसे कई कदम उठाए हैं.
बिहार की स्थिति में सुधार
एनसीपीसीआर की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक बाल विवाह के मामले में सबसे अधिक जोखिम वाला राज्य बनकर सामने आया है. हालांकि, बिहार में बाल विवाह के मामलों में कमी दर्ज की गई है.
यूपी में पांच लाख बच्चों का बाल विवाह विरोध
उत्तर प्रदेश सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ एक बड़ी जागरूकता मुहिम चलाई. रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 501621 बच्चे स्कूल से ड्रॉपआउट हुए हैं, लेकिन इसी राज्य में 5 लाख से अधिक बच्चों ने बाल विवाह का खुलकर विरोध किया.
ड्रॉपआउट बच्चों पर मंडरा रहा सबसे ज्यादा खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में देशभर में 11,49,023 बच्चे स्कूल से ड्रॉपआउट हुए. इन पर बाल विवाह का सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है. स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में शामिल हैं.
इन राज्यों ने फैलाई जागरूकता
रिपोर्ट में बताया गया है कि कर्नाटक और असम जैसे राज्यों में बाल विवाह रोकने के लिए स्थानीय धार्मिक नेताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और अन्य संगठनों ने 40,000 से अधिक सामुदायिक बैठकें आयोजित की. उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों और लड़कों में बाल विवाह के आंकड़े
रिपोर्ट के अनुसार, 1993 में बाल विवाह का शिकार होने वाली लड़कियों की संख्या 49% थी, जो 2021 में घटकर 22% रह गई. लड़कों में भी बाल विवाह की घटनाएं घटी हैं. 2006 में जहां 7% लड़के बाल विवाह के शिकार होते थे, वहीं 2021 में यह संख्या घटकर 2% हो गई. हालांकि, 2016 से 2021 के बीच बाल विवाह उन्मूलन की प्रगति धीमी हो गई है.
तत्काल कदम उठाने की जरूरत
NCPCR के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बाल विवाह उन्मूलन के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में, बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में गति बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों से इस मुद्दे को प्राथमिकता देने और बाल विवाह उन्मूलन के लिए जिला-स्तरीय रणनीतियों को लागू करना जारी रखने का आग्रह किया.