इस राज्य में बना भारत का पहला ”लेखक गांव”, जानें कहां से मिली प्रेरणा ?
गांवों के देश के नाम से जाना जाने वाले हमारे भारत देश के लोगों में आज गांव कहीं गुम होता चला जा रहा है. लोग अपने गांव के पुश्तैनी घरों को छोड़ बड़े शहर के छोटे से फ्लैट की भागकर आ रहे हैं. इस दौर में अपने साहित्य, लेखन और रचनात्मक विचारों को संजोने के लिए ”लेखक गांव” तैयार किया गया है. इसे सुनकर भले ही यकीन कर पाना आपके लिए मुश्किल हो, लेकिन यह बिल्कुल सच है. यदि आपको इसका प्रमाण चाहिए तो, अगली बार जब भी आप उत्तराखंड जाए तो ”लेखक गांव” को घूमकर जरूर से आएं.
आपको बता दें कि हाल ही के दिनों में देहरादून के बाहरी इलाके में बसे थानों क्षेत्र में ”लेखक गांव” के नाम से एक फैसिलिटी का आरंभ किया गया है. इसे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेट जनरल गुरमीत सिंह, सीएम पुष्कर सिंह धामी और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी समेत कई गणमान्य लोगों ने उदघटित किया है.
अटल जी से मिली ”लेखक गांव” की प्रेरणा …
बता दें कि उत्तराखंड में 25 एकड़ में फैला भारत का पहला “लेखक गांव” स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य लेखकों और साहित्यकारों को रचनात्मक कार्य करने के लिए एक शांत और प्रेरणादायक जगह देना है. इस गांव में एक मुख्य भवन, पुस्तकालय, संग्रहालय, लेखकों की कुटिया और पारंपरिक उत्तराखंडी व्यंजन परोसने वाला एक भोजनालय भी है.
”लेखक गांव” की अवधारणा पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बनाई थी .उन्हें यह विचार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एक बात से प्रेरणा मिली थी, जिसमें वाजपेयी ने भारत में लेखकों को सम्मान और स्थान न मिलने पर चिंता जताई थी. निशंक ने साहित्य के प्रचार-प्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए इस विचार को सच कर दिखाया. हाल ही में गांव में ‘स्पर्श हिमालय महोत्सव’ नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें 40 से ज्यादा देशों के लेखक एकत्र हुए थें. गांव का आर्किटेक्चर पहाड़ी शैली में है, जिसमें पारंपरिक पहाड़ी पत्थरों और देवदार की लकड़ी के दरवाजे का उपयोग किया गया है, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है.
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पहल को मिल रही है सराहना
“लेखक गांव” को तैयार करे विचार को काफी सराहना मिल रही है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस परियोजना की सराहना करते हुए इसे एक अभिनव कदम बताया था. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी पहल है जो लेखकों, कवियों और रचनात्मक व्यक्तियों को आने वाली चुनौतियों का समाधान करने में मदद करेगी. कोविंद ने गर्व से कहा कि, उत्तराखंड इस अनोखी अवधारणा का घर है और भारत के किसी भी अन्य राज्य ने इस तरह का लेखक गांव स्थापित नहीं किया है.
उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने भी इस परियोजना के सांस्कृतिक महत्व पर बात करते हुए कहा कि “लेखक गांव” से साहित्य, कला और संस्कृति में जो नवाचार आया है, वह राज्य की विरासत को एक नई दिशा देगा. उन्होंने इसे राज्य की परंपराओं का जीवंत उदाहरण बताया, जो लोगों को साहित्य के जरिए अपनी जड़ों से जोड़ता है. इस लेखक गांव को एक ऐसे स्थान के रूप में देखा गया है जहां साहित्य पनपेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा.