”भगवान कृष्ण का अवतार हैं अरविंद केजरीवाल”- अवध ओझा

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर दिल्ली में इन दिनों सियासी पारा चढा हुआ है, जहां एक तरफ कांग्रेस ने दिल्ली सीएम आतिशी को टक्कर देने के लिए अलका लांबा को उतारने का फैसला किया है. वही दूसरी तरफ हाल ही में राजनीति में उतरे शिक्षक और मोटिवेशनल गुरु अवध ओझा ने केजरीवाल को लेकर बड़ा बयान दें दिया है. जिसमें अवध ओझा ने अरविंद केजरीवाल की तुलना भगवान कृष्ण से कर डाली है और वे यहीं नहीं रूके बल्कि उन्होंने केजरीवाल को 2029 का भावी प्रधानमंत्री तक बता दिया है.

”भगवान का अवतार हैं अरविंद केजरीवाल”

दिल्ली की पटपड़गंज सीट से आप उम्मीदवार अवध ओझा ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान अरविंद केजरीवाल को भगवान कृष्ण का अवतार कह डाला है. उन्होंने कहा है कि, ”अरविंद केजरीवाल निश्चित तौर पर भगवान हैं. मैं उनको कह चुका हूं कि वे कृष्ण के अवतार हैं. जब भी कोई व्यक्ति समाज बदलने की कोशिश करता है और गरीबों का मसीहा बनने की कोशिश करता है, तो उसके पीछे समाज के कंस पड़ जाते हैं. भगवान कृष्ण जेल में क्यों पैदा होते, देवकी और वासुदेव ने क्या बिगाड़ा था… समाज के कंस नहीं चाहते हैं कि कोई गरीबों और मजलूमों के लिए काम करे, सताए हुए लोगों के लिए काम करे.”

”2029 में केजरीवाल होगे भारत के पीएम”

अवध ओझा यहीं नहीं रूके बल्कि अरविंद केजरीवाल को भावी पीएम बताते हुए उन्होंने कहा कि, ”दिल्ली की स्थिति पूरे भारत के लिए उदाहरण बनती जा रही है. सबकी हालत खराब है कि 2029 में कहीं केजरीवाल प्रधानमंत्री न बन जाएं. निश्चित तौर पर लोग उनके पीछे पड़े हुए हैं, मैं तो कहता हूं कि वो भगवान हैं. उन्होंने शिक्षा फ्री कर दी. स्वास्थ्य को लेकर हमारे नेता की बहुत बड़ी दूरदृष्टि है.”

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कौन हैं अवध ओझा ?

अवध ओझा एक यूपीएससी शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर हैं, जिनकी पहचान आज लाखों छात्रों के बीच एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में है. उनका नाम प्रतियोगी परीक्षा के छात्रों के बीच खासा लोकप्रिय है, विशेषकर यूपीएससी और अन्य सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के बीच में अवध ओझा का करियर किसी भी दृष्टिकोण से प्रेरणादायक रहा है.

अवध ओझा का जन्म उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह जिले से प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली का रुख किया. उनकी मेहनत और समर्पण के कारण उन्होंने खुद को शिक्षा के क्षेत्र में स्थापित किया. वह पहले खुद एक प्रतियोगी परीक्षार्थी थे, जिन्होंने कठिन संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त की. हालांकि, उन्होंने प्रशासनिक सेवा में जाने के बजाय, शिक्षा के क्षेत्र को चुना और अपनी विशेषज्ञता को छात्रों तक पहुंचाने का निर्णय लिया. उनकी सफलता का मुख्य कारण उनकी शिक्षा देने की अद्वितीय शैली है, जो सरल, स्पष्ट और विद्यार्थियों को प्रेरित करने वाली होती है.

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