क्या होता है रिहैब, विनोद कांबली को जहां भेजने की हो रही चर्चा….
क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर मेमोरियल इवेंट के दौरान सचिन तेंदुलकर औऱ विनोद कांबली का इमोशनल वीडियो जमकर वायरल हुआ. इसके बाद से ही विनोद कांबली की हालत को लेकर चर्चा तेज हो गई. इसी बीच महान क्रिकेटर कपिल देव आगे आएं और उन्होंने विनोद कांबली को रिहैब सेंटर भेजनी की बात कही. कुछ दिनों तक चर्चा के बाद विनोद कांबली ने कपिल देव की इस मदद को स्वीकारा और रिहैब सेंटर जाने को तैयार हो गए. वहीं बताते हैं कि यह कोई पहली बार नहीं है कि कांबली रिहैब सेंटर जा रहे हैं बल्कि वे करीब 14 बार वहां पर जा चुके हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिरी रिहैब सेंटर होता क्या है और वहां किस प्रकार का इलाज किया जाता है. साथ ही किन व्यक्तियों को इसकी जरूरत पड़ती है ?
क्या होता है रिहैब सेंटर ?
रिहैब सेंटर एक ऐसा केंद्र होता है जहां लोगों को किसी न किसी नशे की लत या मानसिक बीमारी से उबारने के लिए मदद दी जाती है. यह सेंटर नशे के आदी लोगों के लिए विशेष रूप से होते हैं, लेकिन यहां मानसिक और शारीरिक समस्याओं का इलाज भी किया जाता है. इन सेंटरों में पेशेवर चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक और नशा मुक्ति विशेषज्ञ होते हैं जो लोगों को उनके इलाज के दौरान मार्गदर्शन और मदद देते हैं.
रिहैब सेंटर में मरीज उपचार के दौरान काउंसलिंग, थैरेपी और शारीरिक अभ्यास जैसी गतिविधियों में भाग लेते हैं, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है. सेंटर का उद्देश्य मरीज को न केवल उनके नशे की लत से छुटकारा दिलाना होता है, बल्कि उन्हें समाज में एक सामान्य और स्वस्थ जीवन जीने के लिए तैयार भी करना होता है.
रिहबै सेंटर में कितने दिन रहता है मरीज ?
रिहैब सेंटर में मरीज को कितने दिनों तक रखा जाता है, यह उस मरीज की स्थिति और इलाज के प्रकार पर निर्भर करता है. आमतौर पर, नशे की लत से उबारने के लिए रिहैब सेंटर में मरीज को 30 दिनों से लेकर 90 दिनों तक रखा जाता है. यह समय मरीज के इलाज की जरूरतों, लत की गंभीरता और उनके स्वास्थ्य पर आधारित होता है. पहले कुछ हफ्ते मरीज को पूरी तरह से उपचार और काउंसलिंग दी जाती है ताकि उसकी लत का प्रभाव कम किया जा सके.
इसके बाद, मरीज को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत करने के लिए थैरेपी, योग और अन्य उपचार विधियों का सहारा लिया जाता है. कुछ मामलों में, अगर लत गंभीर हो और मरीज की हालत में सुधार जल्दी न हो, तो रिहैब सेंटर में रहने का समय बढ़ाया भी जा सकता है. इसके अलावा, मरीज की सहमति और सुधार के आधार पर इलाज का समय तय किया जाता है.
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इलाज के कितने चरण होते हैं ?
रिहैब सेंटर में इलाज के मुख्य रूप से तीन प्रमुख चरण होते हैं. पहला चरण डिटॉक्सिफिकेशन होता है, जिसमें मरीज के शरीर से नशे के प्रभाव को बाहर निकाला जाता है. दूसरा चरण काउंसलिंग और थेरेपी का होता है, जहां मरीज को मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत किया जाता है. इसमें व्यक्तिगत और समूह काउंसलिंग शामिल होती है. तीसरा और आखिरी चरण रिहैबिलिटेशन होता है, जिसमें मरीज को समाज में वापसी के लिए तैयार किया जाता है, ताकि वह नशे से बचते हुए सामान्य जीवन जी सके. इन तीनों चरणों से मरीज पूरी तरह से नशे की लत से उबर सकता है.