वाराणसी: शोध में खुलासा, भुजल की उम्र होगी 500 वर्ष

भूजल का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस

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महादेव की नगरी में धरती के नीचे मौजूद भूजल की उम्र अब सामने आ रही है. देश में पहली बार ट्रिटियम-हीलियम डेटिंग और कार्बन डेटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर भूजल की आयु का निर्धारण किया गया है. काशी हिंदू विश्वविद्याल (बीएचयू) के भूगर्भ शास्त्र विभाग ने हंगरी परमाणु अनुसंधान संस्थान के सहयोग से यह महत्वपूर्ण शोध किया है.
शोध के मुताबिक 200 मीटर की गहराई पर पाया जाने वाला भूजल 5 साल से लेकर 500 साल तक पुराना हो सकता है. भूजल की उम्र का पता लगाने के लिए जिले के विभिन्न स्थानों से 24 नमूने लिए गए थे.

ट्रिटियम-हीलियम और कार्बन डेटिंग से हुई खोज

हंगरी परमाणु अनुसंधान संस्थान के ग्रुप लीडर डॉ. आस्लो पालघु ने बताया कि ट्रिटियम-हीलियम डेटिंग से एक से सौ साल तक के भूजल की उम्र मापी जा सकती है, जबकि कार्बन डेटिंग 50 हजार साल तक के जल की आयु बताने में सक्षम है. दो वर्षों तक चली इस प्रक्रिया में अलग-अलग स्थानों पर किए गए परीक्षणों से यह सामने आया कि कुछ स्थानों पर भूजल महज 5 साल पुराना है, जबकि कुछ जगहों पर इसका उम्र 500 साल तक है.

क्या है ट्रिटियम-हीलियम डेटिंग और कार्बन डेटिंग

ट्रिटियम-हीलियम डेटिंग और कार्बन डेटिंग भूजल और जैविक पदार्थों की आयु निर्धारण की  वैज्ञानिक विधियाँ हैं. ट्रिटियम-हीलियम डेटिंग में ट्रिटियम (हाइड्रोजन का रेडियोधर्मी समस्थानिक) का समय के साथ हीलियम-3 में क्षय मापा जाता है. जिससे हाल के 1 से 100 वर्षों के भीतर भूजल की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है.
दूसरी ओर, कार्बन डेटिंग (रेडियोकार्बन डेटिंग) में कार्बन-14 समस्थानिक के क्षय की दर मापकर 500 से 50,000 वर्ष पुराने जैविक नमूनों की आयु निर्धारित की जाती है. कार्बन-14 का आधा जीवन लगभग 5,730 वर्ष होता है, जिससे यह विधि पुरातात्त्विक और भूवैज्ञानिक अनुसंधानों में अत्यंत उपयोगी है.
इन विधियों के माध्यम से वैज्ञानिक भूजल पुनर्भरण, पर्यावरणीय परिवर्तनों और प्राचीन सभ्यताओं के अध्ययन में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं.

भूजल के स्रोत का पता लगाने की तैयारी

बीएचयू के प्रोफेसर शिवप्रकाश राय ने बताया कि भूजल के स्रोत और उसकी वास्तविक यात्रा का पता लगाने के लिए आइसोटोप विश्लेषण किया जाएगा. शोध में यह संकेत भी मिले हैं कि बनारस का भूजल गंगा नदी से जुड़ा हो सकता है, लेकिन इस पर अभी अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सका है.

क्या है आइसोटोप विश्लेषण?
आइसोटोप विश्लेषण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसका उपयोग भूजल के स्रोत, उसकी उम्र और पुनर्भरण प्रक्रिया का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह तकनीक यह भी निर्धारित करती है कि पानी कितने वर्षों से भूमिगत है।

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ग्रेट हंगरियन प्लेन में मिला 10,000 साल पुराना भूजलडॉ. आस्लो पालघु ने बताया कि इसी तकनीक से यूरोप के शहर ग्रेट हंगरियन प्लेन में 10 हजार साल पुराना भूजल मिला है. 2021 में इस भूजल का अध्ययन पूरा हुआ. यह पानी 1200 मीटर की गहराई पर पाया गया, जहां उसका तापमान 68 डिग्री सेल्सियस था. इस पानी का उपयोग वहां स्पा के लिए किया जाता है.

भूजल का तापमान कितना?

बीएचयू के भूगर्भ शास्त्र विभाग के प्रो. शिवप्रकाश राय ने बताया कि दो साल के इस शोध में बछांवा, टिकरी, बाबतपुर, जौनपुर सीमा और शहर के विभिन्न इलाकों से कुल 24 नमूने इकट्ठा किए गए. 50 से 550 फीट की गहराई पर पाए गए भूजल का तापमान औसतन 25 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. ट्रिटियम-हीलियम और कार्बन डेटिंग जैसी उन्नत तकनीकों के जरिए भूजल की आयु और उसकी स्थिति को समझने में महत्वपूर्ण सफलता मिली है. प्रोजेक्ट के लिए विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय के आदेश पर बीएचयू ने 10 लाख रुपये की स्वीकृत किए हैं.

 

 

 

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