वाराणसी के बिजली कर्मचारियों ने मनाया “निजीकरण विरोधी दिवस”, बिडिंग प्रक्रिया होते ही होगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन

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वाराणसी: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने आज शनिवार को वाराणसी में भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर पर भी विशाल सभा के माध्यम से निजीकरण विरोधी दिवस मनाया. संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है और भय का वातावरण बनाकर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना रहा है. संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि प्रबंधन बिडिंग प्रक्रिया शुरू करने के पहले आरएफपी डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी करें तो निजीकरण के खतरों का अपने आप खुलासा हो जाएगा.

लाखों बिजली कर्मी सड़क पर उतरने को होंगे विवश

सभा को संबोधित करते हुये वक्ताओं ने कहा कि यूपी और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी “निजीकरण विरोधी दिवस” मनाया गया और देशभर में समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभाएं की गई. बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीओ ईईई) ने चेतावनी दी है कि यूपी में निजीकरण के बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी होते ही देश भर में लाखों बिजली कर्मी सड़क पर उतरने को विवश होंगे.

निजीकरण को बड़ा घोटाला बताते हुए कहा कि अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी. उप्र और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में मुम्बई, कोलकाता,चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम, विजयवाड़ा, गुवाहाटी, नागपुर, रायपुर, जबलपुर, भोपाल, शिमला, जम्मू, श्रीनगर, देहरादून, चंडीगढ़, पटियाला, रांची, आदि स्थानों पर बड़े प्रदर्शन हुए. उप्र की राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपदों एवं परियोजनाओं पर विरोध सभाएं की गई.

औद्योगिक अशांति का बन रहा वातावरण

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज यहां जारी बयान में कहा कि पता नहीं क्यों पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने अचानक प्रदेश के 42 जनपदों में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा कर बिजली कर्मियों को उद्वेलित कर दिया है और अनावश्यक रूप से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है. बिजली कर्मी अभी भी पूरी मेहनत से कार्य कर रहे हैं और निजीकरण के विरोध में सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम कार्यालय समय के उपरांत कर रहे हैं जिससे बिजली व्यवस्था पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े और उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत ना हो.

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संघर्ष समिति ने कहा कि आगरा के निजीकरण के पहले जारी किए गए आर एफ पी डॉक्यूमेंट में एटी एंड सी हानियां बहुत अधिक बढ़ाकर बताई गई थी जो फर्जी थी. इसी गलत डॉक्यूमेंट के चलते पॉवर कारपोरेशन को टोरेंट को बिजली देने मे ही 2434 करोड़ रु की चपत अब तक लग चुकी है. इस बार भी परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए बिना पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों की अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश है. बिडिंग के पहले यदि आरएफपी डॉक्यूमेंट जारी किया जाए तो पूरा घोटाला सामने आ जाएगा.

सभा को ई. शैलेन्द्र दुबे, ई. अविनाश कुमार, ई. आशीष कुमार, ई. अमित धर्मा, मायाशंकर तिवारी, आरबी यादव, अंकुर पाण्डेय, रामकुमार झा, मदन श्रीवास्तव, राजेन्द्र सिंह, ई. नरेंद्र वर्मा , उदयभान दुबे, ध्रुव आदि ने संबोधित किया.

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