अतुल सुभाष केस: दहेज विरोधी कानून में बदलाव के लिए SC में याचिका दायर…

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अतुल सुभाष केस: बेंगलुरू में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. इस मामले में अभी तक भले ही पुलिस की तरफ से बड़ी कार्रवाई नहीं की गई हो, लेकिन अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले ने दहेज उत्पीड़न घरेलू हिंसा कानून के दुरुपयोग के साथ पुरूष के अधिकारों और शोषण के मुद्दे की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने का काम किया है. यही वजह है कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है और सुप्रीम कोर्ट में दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा से संबंधित कानूनों में संशोधन किए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है. दायर की गई इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किए जाने की भी मांग की गई है.

याचिका में क्या है मांग ?

सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी द्वारा दाखिल इस याचिका में शादी के दौरान दिए गए गिफ्ट या पैसे का रिकॉर्ड रखने और इसे विवाह रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का हिस्सा बनाने की मांग की गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में एक विशेष समिति गठित करने का भी अनुरोध किया गया है. यह समिति दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा कानूनों में सुधार के सुझाव देगी. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए पति और उसके परिवार के सदस्यों के उत्पीड़न को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की गई है.

9 दिसंबर को अतुल सुभाष ने की थी आत्महत्या

अतुल सुभाष जो बेंगलुरु की एक कंपनी में एआई इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने बीते 9 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी. अपनी मौत से पहले उन्होंने 80 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा था. इस वीडियो में उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार वालों पर झूठे केस कर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए पांच लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है.

अतुल ने वीडियो बनाते समय जो टीशर्ट पहनी थी, उसपर लिखा था कि, ‘Justice is Due’ यानी इंसाफ बाकी है. अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि निकिता और उसके परिवार ने घरेलू हिंसा, हत्या और दहेज प्रताड़ना के नौ केस दर्ज करवाए. अतुल ने यह भी बताया कि निकिता और उसके परिवार ने शादी के बाद से लगातार पैसे मांगते रहे हैं. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) के तहत बेंगलुरु पुलिस ने मामला दर्ज किया है. वैसे अभी तक पुलिस ने इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया है.

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पुलिस की कार्रवाई

इस मामले में बेंगलुरु पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) के तहत केस दर्ज कर गहन जांच पड़ताल में जुटी है. दूसरी ओर इस घटना ने समाज में विवाह संबंधी कानूनों के दुरुपयोग और उससे होने वाले उत्पीड़न पर गहन चर्चा शुरू कर दी है. याचिका में इन कानूनों को संतुलित बनाने के लिए सुधार की सख्त जरूरत बताई गई है.

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